जिले में सिर्फ दो पार्क, वह भी उपेक्षित
नगरपालिका का अपना कोई पार्क नहीं है, जहां शहरवासी ताजी हवा के लिए सुबह-शाम टहलने जा सकें। जिले में मौजूद दो पार्कों की हालत भी ठीक नहीं है। इनमें एक उद्यान तो दूसरा वन विभाग का पार्क है। जिला अलंकृत उद्यान पार्क तो कुछ हद तक ठीक है। वहीं वन विभाग का बुद्धा पार्क अपने अस्तित्व पर आंसू बहा रहा
सिद्धार्थनगर: नगरपालिका का अपना कोई पार्क नहीं है, जहां शहरवासी ताजी हवा के लिए सुबह-शाम टहलने जा सकें। जिले में मौजूद दो पार्कों की हालत भी ठीक नहीं है। इनमें एक उद्यान तो दूसरा वन विभाग का पार्क है। जिला अलंकृत उद्यान पार्क तो कुछ हद तक ठीक है। वहीं वन विभाग का बुद्धा पार्क अपने अस्तित्व पर आंसू बहा रहा है। जबकि सरकार पार्कों व पर्यटकों के प्रति काफी गंभीर है। बावजूद जिम्मेदारों का ध्यान इस पर नहीं जा रहा है।
नगरपालिका के 25 वार्डों में एक भी पार्क का निर्माण नहीं हुआ है। इसके प्रति जिम्मेदारों ने कोई रुचि भी नहीं दिखाई। जो बना भी है उसे सहेजने व संवारने को लेकर भी कोई दिलचस्पी नहीं ली जा रही है। बुद्धा पार्क झाड़ियों से घिरा है। पार्क का झूला, बच्चों के खेलने के लिए जरूरी चीजें भी दुरुस्त नहीं हैं। फूल, पौधे, फव्वारा, पेयजल आदि की सुविधाओं की दरकार है। अव्यवस्था के चलते लोगों का पार्क में आना कम हो गया है। जो आते भी है वह कुछ ही समय बाद मायूस वापस चले जाते हैं। पार्क में बैठने की व्यवस्था नहीं
पार्क के चारो तरफ काफी पहले बनी सड़क, फर्श व बैठने के लिए जगह-जगह बनी सीटें भी टूट गई है। सोलर लाइट शो-पीस बना हुआ है। जगह-जगह गंदगी का अंबार है। चाहरदीवारी भी टूटी हुई है।
...........
ढहने के कगार पर बुद्ध की प्रतिमा
बुद्धा पार्क में पीपल वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध की प्रतिमा गिरने के कगार पर पहुंच गई है। नीचे का हिस्सा उखड़ रहा है। जो कभी भी गिरने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
.......
शाम को गुलजार रहता है अलंकृत पार्क
जिला मुख्यालय का अलंकृत उद्यान पार्क शाम होते ही गुलजार हो जाता है। हलांकि यहां भी बच्चों के खेलने सहित अन्य सुविधाएं नहीं है। फिर भी इकलौता पार्क होने के नाते सुबह शाम लोगों की भीड़ लगी रहती है।
...........