जिला अस्पताल में दवाएं नहीं, सिर्फ लिखी जा रही चिट्ठी

देश के 115 अति पिछड़े जिलों में शामिल सिद्धार्थनगर को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके बावजूद महीनों से संयुक्त जिला अस्पताल में आवश्यक दवाओं की कमी बनी हुई है। हालत यह है कि तमाम दवाएं बाहर से खरीदकर काम चलाया जा रहा

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Nov 2018 10:04 PM (IST) Updated:Tue, 06 Nov 2018 10:04 PM (IST)
जिला अस्पताल में दवाएं नहीं, सिर्फ लिखी जा रही चिट्ठी
जिला अस्पताल में दवाएं नहीं, सिर्फ लिखी जा रही चिट्ठी

सिद्धार्थनगर : देश के 115 अति पिछड़े जिलों में शामिल सिद्धार्थनगर को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों पर विशेष ध्यान दे रही है। इसके बावजूद महीनों से संयुक्त जिला अस्पताल में आवश्यक दवाओं की कमी बनी हुई है। हालत यह है कि तमाम दवाएं बाहर से खरीदकर काम चलाया जा रहा है। एंटी बायोटिक्स इंजेक्शन,बच्चों को बुखार में प्रयोग होने वाली पैरासीटामाल सीरप, आई,एयर ड्राप, चर्मरोग के सहित अन्य रोगों में प्रयोग किये जाने वाली दवाएं स्टोर से गायब हैं। यह हालत तब की है, जब सरकार ने मरीजों को बाहर से दवा लिखने पर रोक लगा रखा है। विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र देकर अस्पताल प्रशासन ने समस्याओं से अवगत कराया है, इसके बावजूद दवा नहीं मिल सकी है। दवा खरीद की जिम्मेदारी उप्र मेडिकल सप्लाइज कार्पोरेशन के बाद से अस्पतालों में दवाओं की किल्लत बढ़ी है।

सौ बेड के जिला संयुक्त चिकित्सालय में ही वह दवाएं उपलब्ध नहीं है, जिनकी इन दिनों सर्वाधिक डिमांड है। जिला अस्पताल की ओपीडी में हर रोज करीब करीब 700 मरीज आते हैं। इनमें ज्यादातर सर्दी-खांसी, बुखार जैसी अन्य वायरल से पीड़ित होते हैं। इनके इलाज एंटी बॉयोटिक, पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बेहद उपयोगी हैं। नौगढ़ निवासी मालती देवी ने बताया कि आंख में इंफेक्शन का उपचार कराने आई थी। डॉक्टर ने आई ड्राप लिखा। जब वह काउंटर पर दवा लेने गई तो उसे दवा नहीं मिली। दवा काउंटर पर तैनात कर्मचारियों ने बताया कि दवा खत्म हो गई है। बच्चे को दिखाने आए सलीम को खांसी की दवा खरीदने बाहर जाना पड़ा। कुछ ऐसी ही दुश्वारी दिनेश, कवलपत्ती, परवेज आदि मरीजों को भी झेलनी पड़ी।

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यह दवाएं उपलब्ध नहीं

जिला अस्पताल में एंटीबायोटिक्स में राक्सीथ्रोमाइसीन टेबलेट के अलावा कोई दवा मौजूद नहीं है, बच्चों के बुखार में प्रयोग होने वाली दवा पैरासीटामाल सीरफ, दर्द के प्रयोग की दवा डाइक्लोफिनैक जेल, चर्मरोग के लिए बीबी लोशन सहित प्रमुख दवा मौजूद नहीं है। अस्पताल के चिकित्सकों को मौजूद दवाओं की लिस्ट उपलब्ध कराई गई है। उसी के अनुसार मरीजों को वह दवा पर्ची पर लिख रहे हैं।

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दवाओं की किल्लत बनी हुई है। लोकल पर्चेज के जरिये दवा की खरीद कर काम चलाया जा रह है। शासन ने दवा खरीद के लिए जिस एजेंसी को नामित किया है, उसे कई बार जरुरी दवाओं के खरीद का आर्डर दिया गया है। मौजूद व्यवस्था में मरीजों को बेहतर सेवा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रह है।

डॉ रोचस्मति पाण्डेय, सीएमएस संयुक्त जिला अस्पताल

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