युवाओं को शिक्षित करने के साथ हुनरमंद भी बना रहे रियाज

गरीबी उन्मूलन तभी हो सकता है जब हर कोई शिक्षित बनेगा। समाज में ऐसे लोग कम ही हैं जो दूसरे लोगों के जीवन को खुशहाल करने के लिए आगे बढ़कर काम करते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं रियाज अंसारी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jan 2020 11:42 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jan 2020 06:08 AM (IST)
युवाओं को शिक्षित करने के साथ हुनरमंद भी बना रहे रियाज
युवाओं को शिक्षित करने के साथ हुनरमंद भी बना रहे रियाज

शामली, जेएनएन। गरीबी उन्मूलन तभी हो सकता है, जब हर कोई शिक्षित बनेगा। समाज में ऐसे लोग कम ही हैं, जो दूसरे लोगों के जीवन को खुशहाल करने के लिए आगे बढ़कर काम करते हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं रियाज अंसारी। वह आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए अपनी कमाई खर्च करने से भी पीछे नहीं हटते। साथ ही इच्छुक युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए फर्नीचर आदि बनाने का काम भी सिखाते हैं।

कैराना के रियाज अंसारी यूं तो एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन उन्होंने समाज के लिए कुछ करने का भी फैसला किया है। उनकी पानीपत-खटीमा राजमार्ग पर फर्नीचर बनाने की दुकान है। वह दसवीं पास हैं। उच्च शिक्षा की चाहत तो थी, लेकिन पारिवारिक कारणों से वह आगे पढ़ाई नहीं कर सके, इसलिए उन्हें पता है कि शिक्षा का महत्व क्या होता है। समाजसेवा की सेवा का भाव तो बचपन से था, लेकिन उसके लिए खुद के पास भी संसाधन होना भी जरूरी है। दस साल से फर्नीचर बनाने का काम रहे हैं। कुछ कमाई होने लगी तो तय कर लिया कि कमाई का कुछ हिस्सा वह आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की पढ़ाई के लिए खर्च करेंगे। जब उन्हें पता चलता कि मोहल्ले या कस्बे में किसी ने बच्चों की पढ़ाई फीस के पैसे न होने के कारण छुड़वाई तो वह उसके घर पहुंच जाते हैं। बताते हैं कि अपना गुजारा थोड़े कम भी कर लो, लेकिन बच्चों को पढ़ाना जरूरी है। बिना पढ़े वह तरक्की नहीं कर सकते। वह आर्थिक मदद करते हुए दोबारा बच्चों को स्कूल भेजते हैं। अगर कोई पढ़ने में तेज हो और ट्यूशन की जरूरत हो तो भी मदद करते हैं। काफी युवा ऐसे होते हैं, जो पढ़ाई नहीं करते तो उन्हें वह अपनी दुकान पर फर्नीचर बनाने का काम सिखाते हैं। ऐसे भी कई युवा हैं, जो पढ़ाई करने के साथ-साथ काम भी सीखते हैं। कई युवा अच्छे कारीगर बन चुके हैं और उन्होंने अपना अलग काम भी शुरू कर दिया है। रियाज कहते हैं कि समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। जब भी वह समाज के लिए कुछ करते हैं तो मन को काफी तसल्ली मिलती है।

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