निस्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा कर रहे डा. भारत भूषण

निस्वार्थ सेवा कर रहे डा. भारत भूषण इंसानियत को ही सबसे बड़ा धर्म मानते हैं। वह करीब 40 वर्ष से कैंसर समेत विभिन्न बीमारियों का निश्शुल्क उपचार कर रहे हैं। कैंसर होने पर लोग जीने की उम्मीद ही छोड़ देते हैं लेकिन वह ऐसे ही लोगों के जीवन की उम्मीद बने हुए हैं। उनके पास विभिन्न राज्यों से मरीज आते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Jan 2022 10:32 PM (IST) Updated:Thu, 20 Jan 2022 10:32 PM (IST)
निस्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा कर रहे डा. भारत भूषण
निस्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा कर रहे डा. भारत भूषण

शामली, जागरण टीम। निस्वार्थ सेवा कर रहे डा. भारत भूषण इंसानियत को ही सबसे बड़ा धर्म मानते हैं। वह करीब 40 वर्ष से कैंसर समेत विभिन्न बीमारियों का निश्शुल्क उपचार कर रहे हैं। कैंसर होने पर लोग जीने की उम्मीद ही छोड़ देते हैं, लेकिन वह ऐसे ही लोगों के जीवन की उम्मीद बने हुए हैं। उनके पास विभिन्न राज्यों से मरीज आते हैं।

जिले के गांव कसरेवा कला निवासी डा. भारत भूषण ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार से बीएमएस (आयुर्वेद भास्कर) की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद गांव में ही 20 वर्ष से अधिक समय तक लोगों का उपचार किया। फिर शामली आ गए और झिझाना रोड पर क्लीनिक बनाकर सेवा के उद्देश्य से ही उपचार शुरू किया। वह नाभि, बांझपन, आधे सिर का दर्द, हिचकी की बीमारियों का उपचार निश्शुल्क करते हैं। करीब 19 साल पहले उन्होंने विभिन्न जड़ी-बूटियों से कैंसर को ठीक करने की दवा तैयार की। शुरुआत में कुछ मरीज ही आते थे तो उन्हें दवा दी। काफी मरीजों पर दवा का असर दिखा। अब तो उनके पास प्रदेश के विभिन्न जिलों से लेकर हरियाणा, राजस्थान, बिहार आदि से भी मरीज आते हैं। वह कैंसर की दवा का चिकित्सीय परामर्श से लेकर दवा का कोई शुल्क नहीं लेते हैं। गंभीर बीमारी पैलेथीनिया का भी उपचार निश्शुल्क करते हैं। पैलेथीनिया के रोगी में खून बनना बंद हो जाता है और बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है।

डा. भारत भूषण कहते हैं कि चिकित्सा उनका पेशा नहीं बल्कि सेवा का माध्यम है। कैंसर समेत कई बीमारियों के उपचार का कोई शुल्क नहीं लेने का संकल्प लिया हुआ है। कुछ बीमारियों की दवा का शुल्क लेते हैं, लेकिन वह भी बहुत कम रखा है, क्योंकि ऐसे काफी लोग होते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। असाध्य बीमारी से ग्रस्त मरीज जब ठीक होते हैं, उन्हें आराम मिलता है तो मन को शांति मिलती है। धन हमारे साथ नहीं जाता है। अगर कुछ साथ जाता है तो वह हैं हमारे कर्म। ईश्वर से यही प्रार्थना रहती है कि हम अधिक से अधिक लोगों की सेवा कर सकें। कैंसर के मरीजों को समझाते हैं, हौंसला देते हैं कि वह ठीक हो जाएंगे। कैंसर के काफी मरीज ठीक हैं और एक तरह से स्वस्थ जीवन बिता रहे हैं।

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