बलिदानी के गांव में आंखों से उड़ी नींद, रात भर होती रहीं सारज की बातें

आंखों से नींद गायब है। आंसू सूख चुके हैं। आंखें सिर्फ बलिदानी वीर के गांव आने की रास्ता देख रहीं हैं। लोगों के आने-जाने का क्रम जारी है। हर कोई दिलासा दे रहा है पर मन मानने को तैयार ही नहीं है कि सारज अब नहीं रहे। मंगलवार को पूरी रात उनके परिवार के सदस्य सोए नहीं

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 01:20 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 01:20 AM (IST)
बलिदानी के गांव में आंखों से उड़ी नींद, रात भर होती रहीं सारज की बातें
बलिदानी के गांव में आंखों से उड़ी नींद, रात भर होती रहीं सारज की बातें

जेएनएन, शाहजहांपुर: आंखों से नींद गायब है। आंसू सूख चुके हैं। आंखें सिर्फ बलिदानी वीर के गांव आने की रास्ता देख रहीं हैं। लोगों के आने-जाने का क्रम जारी है। हर कोई दिलासा दे रहा है, पर मन मानने को तैयार ही नहीं है कि सारज अब नहीं रहे। मंगलवार को पूरी रात उनके परिवार के सदस्य सोए नहीं। हर कोई एक दूसरे को हिम्मत बंधाने की कोशिश तो कर रहा हैं, लेकिन खुद को समझाना मुश्किल हो रहा है। सोमवार को सारज सिंह के बलिदान होने की सूचना मिली तो उनके भाई सुखवीर सिंह ने सिर्फ पत्नी व परिवार के खास सदस्यों को ही जानकारी दी, लेकिन मां परमजीत कौर व पिता विचित्र सिंह को इस बारे में नहीं बताया था। मंगलवार को जब से दोनों को इस बारे में पता चला है। उनका हाल बेहाल है। पूरी रात सभी सदस्य एक साथ बैठे रहे। सारज की बातें ही करते रहे। उनके बचपन की शरारतों को याद करते रहे। बीच-बीच में बहू रजविदर रोने लगतीं तो सास परमजीत कौर व मां कुलवीर समझाने का प्रयास करतीं, पर उनके लिए भी अपने आंसुओं पर काबू करना मुश्किल हो रहा था। सुखवीर ने बताया कि बस सारज के आने का इंतजार कर रहे हैं। हमारा लाल अब तक क्यों नहीं आया..

बुधवार दोपहर परमजीत कौर महिलाओं से घिरीं हुई बैठी थीं। मोबाइल पर मुठभेड़ से संबंधित समाचारों को देख रही थीं। जब सारज का नाम आता तो भावुक हो जातीं। फिर पूछने लगतीं कि जो बलिदानी हैं उन सबकी पार्थिव देह उनके घर तक पहुंच गई। मेरा लाल अब तक क्यों नहीं आया। सुखवीर ने बताया कि मां व पिता स्वयं को सामान्य दिखाने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन अंदर से पूरी तरह टूट चुके हैं। जब तक सारज का चेहरा नहीं देख लेंगे उन लोगों को चैन नहीं पड़ेगा।

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