कागजों में गोआश्रय स्थल, अभिलेखों में चारा-पानी

लॉकडाउन में गो-आश्रय स्थलों को लेकर चाहे जो भी दावे किए जा रहे हों लेकिन हकीकत यह है कि इनको कागजों चलाया जा रहा है और अभिलेखों में चारा-पानी दिया जा रहा है। अधिकांश गोआश्रय केंद्र खाली पड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 May 2020 10:21 PM (IST) Updated:Sun, 24 May 2020 10:21 PM (IST)
कागजों में गोआश्रय स्थल, अभिलेखों में चारा-पानी
कागजों में गोआश्रय स्थल, अभिलेखों में चारा-पानी

संत कबीरनगर: लॉकडाउन में गो-आश्रय स्थलों को लेकर चाहे जो भी दावे किए जा रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि इनको कागजों चलाया जा रहा है और अभिलेखों में चारा-पानी दिया जा रहा है। अधिकांश गोआश्रय केंद्र खाली पड़े हैं। कुछ पर ताला लटका है। जहां संचालित भी हैं वहां दाना-पानी के अभाव में पशु चलने फिरने के लायक भी नहीं रह गए हैं। प्रशासन के आंकड़ों में 400 केंद्र बखूबी चल रहे हैं।

धनघटा के कटया, बभनौली, खैराटी, रामपुर, खैरा, कोचरी आदि में केंद्र कागजी रह गए हैं। लहुरेगांव के केंद्र का टिन शेड उड़ गया है, यहां एक भी पशु नहीं हैं। सेमरियावां क्षेत्र में बने 11 गोआश्रय केंद्रों में सिर्फ पांच ही संचालित हैं। उंचहरा कला, कुसमैनी, करमाखान, वासिन तथा मूड़ाडीहाबेग केंद्र पर एक भी पशु नहीं हैं।

बेहाल पशु बयां कर रहे हकीकत

मेंहदावल के बाराखाल के गोआश्रय केंद्र पर 30 पशुओं के सापेक्ष 14 पशु हैं। नाद में सूखा भूसा पड़ा था। सांथा के अगियौना केंद्र पर 26 पशु तो हैं पर, सभी कमजोर हो चुके हैं। बेलहर के भेला खर्ग गोशाला पर शेड भी नहीं है। यहां पशुओं की देखरेख करने वाले राममिलन ने बताया कि पांच दिन पहले आंधी में उड़ गया। अब पशु खुले आसमान के नीचे ही रह रहे हैं।

गो-वंशियों के लिए केंद्र संचालित हैं। ग्राम प्रधान और सचिव की जिम्मेदारी है कि केंद्र ठीक से संचालित हो। यदि केंद्रों पर पशु नहीं हैं तो यह गंभीर बात है, स्वयं इसकी जांच करूंगा।

अतुल कुमार मिश्र, मुख्य विकास अधिकारी

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