अधर्म-अनीति वालों की हमेशा होती पराजय: विजय स्वरूप

मण का धन पतन कर देता है अर्धम-अनीति वालों की हमेशा पराजय होती हैं लंका में भयंकर संग्राम हुआ श्री राम ने कुम्भकर्ण को मार दिया फिर लक्ष्मण जी ने मेघनाद को मार दिया। फिर रावण से श्री राम ने युद्ध किया। आचार्य विजय स्वरूप ने लोगों को बताया कि विभिषण ने कहा महाराज इसकी नाभि में अमृत है इसलिए नहीं मर रहा तब श्री राम ने एक साथ इकत्तीस वाण छोड़ें एक वाण नाभि में लगा दस बाणो ने रावण के दस सिर काटे बीस वाणो ने रावण की बीस भुजाऐं काट दी रावण मारा गया देव लोक में सभी देवता सभी बहुत प्रसन्न होकर श्री राम के ऊपर फूलों की वर्षा करने लगे जय जय कार हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 04 Nov 2018 11:05 PM (IST) Updated:Sun, 04 Nov 2018 11:05 PM (IST)
अधर्म-अनीति वालों की हमेशा होती पराजय:  विजय स्वरूप
अधर्म-अनीति वालों की हमेशा होती पराजय: विजय स्वरूप

असमोली: गांव सैदपुर जसकोली में नवें दिन श्रीराम कथा सुनाते हुए आचार्य विजय स्वरूप ने कहा की विजय सत्य धर्म है । रावण के अत्याचारों से पृथ्वी पीड़ित थी, रावण ने यज्ञ, दान, तप, सब बंद करा दिए, पंचवटी से सीता का हरण करके ले गया तब श्रीराम ने वानर भालुओं की सेना एकत्र करके लंका पर चढ़ाई कर दी। रावण ने सभी राजाओं का धन हरण किया। इसलिए सोने की लंका भी उसके लिए काल बन गई। उन्होंने कहा कि अनीति का धन, काला धन, अतिक्रमण का धन पतन कर देता है। अर्धम-अनीति वालों की हमेशा पराजय होती हैं। लंका में भयंकर संग्राम हुआ श्री राम ने कुंभकर्ण को मार दिया, फिर लक्ष्मण ने मेघनाद को मार दिया।

आचार्य विजय स्वरूप ने श्रीराम- रावण युद्ध का वर्णन करते हुए कहा कि विभीषण ने कहा महाराज इसकी नाभि में अमृत है, इसलिए नहीं मर रहा तब श्री राम ने एक साथ इकत्तीस वाण छोड़ें, एक वाण नाभि में लगा। दस बाणों ने रावण के दस सिर काटे, बीस वाणों ने रावण की बीस भुजाएं काट दी तब रावण मारा गया और देवलोक में सभी देवता प्रसन्न होकर श्री राम के ऊपर फूलों की वर्षा करने लगे जय जय कार हुआ। कथा में गुलाब ¨सह, रेवती प्रसाद, महेन्द्र ¨सह, जसराम ¨सह, गोल्डन ¨सह, खड़क ¨सह, सतपाल ¨सह, धर्मवीर, गुड्डू, हेमराज, योगेंद्र, शिवचरन, लख्मी चंद्र, उमेश कुमार, ग्राम प्रधान सुमन देवी, रीतू कुमारी, सुमित्रा देवी आदि रहे।

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