रमजानुल मुबारक की रातों में एक रात शबे कद्र कहलाती हैं
रमजान माह बरकत का महीना है। जो शख्स इस महीने में नेकी के साथ अल्लाह उस पर मेहरबानियां बरसाता है। इस महीने में नवाफिल का सबाव सुन्नतों के बराबर और सुन्नतों का सबाव फर्ज के बराबर मिलता है। राशिद खान ने कहा कि रमजानुल मुबारक की रातों में से एक रात शबे कद्र कहलाती है जो हजार महीनों से अफजल है।
चन्दौसी: रमजान माह बरकत का महीना है। जो शख्स इस महीने में नेकी के साथ अल्लाह उस पर मेहरबानियां बरसाता है। इस महीने में नवाफिल का सबाव सुन्नतों के बराबर और सुन्नतों का सबाव फर्ज के बराबर मिलता है। राशिद खान ने कहा कि रमजानुल मुबारक की रातों में से एक रात शबे कद्र कहलाती है जो हजार महीनों से अफजल है। खुशनसीब है वे शख्स जिसको इस रात की इबादत नसीब हो जाए। इस रात को लैलातुल कद्र भी कहा जाता है। इसमें हजरत जिबूल अलेहिस्सलाम फरिश्तों के साथ उतरते है यह रात रमजानुल मुबारक के आखिरी अशरे में होती है। इसमें जिस बंदे को यह रात नसीब हो जाए। यानि के इबादत में मशगूल हो तो फरिश्ते उसके लिये मगफिरत की दुआ करते है और दुआ ए रहमत करते है। उसकी दुआ कबूल करके उसकी बुराईयों को नेकी में बदल दिया जाता है।
परवेज आलम ने कहा कि सत्ताइवीं रात में इबादत करने का सबाव हजार माह की इबादत से ज्यादा है। लैलतुल कद्र इनितहाई बरकत वाली रात है। इसको लैलतुल कद्र रात में सालभर के अहकाम नाफिज किए जाते है। यानि फरिश्ते रजिस्टरों में आइन्दा साल होने वाले मुआमलात लिखते। मतीन नवाज ने कहा कि रमजान के पाक महीना को बरकतों का महीना कहा जाता है। इसमें अल्लाह तआला अपने मोमीनों की हर अदा पसंद करता है। इस मुकद्दस माह में रोजा रखना, तरावीह पढ़ना, सेहरो-इफ्तार कराना व गरीब मोहताजों को खाना खिलाना शवाब है। उन्होंने कहा कि अल्लाह तबारक व तआला इस पाक महीनें में जुमे की शवाब सत्तर से सात सौ गुना बढ़ा देता है।
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