ऐसी बस्तियां, जहां हर दिन निकलता एड्स का एक मरीज
एड्स ने सहारनपुर में अपने चंगुल में करीब ढाई हजार मरीजों को जकड़ लिया है। पड़ताल में यह मरीज चुनिदा मोहल्लों और बस्तियों से निकलकर सामने आ रहे हैं। इनमें से अधिकांश मरीज असुरक्षित यौन संबंधों के जरिए एड़्स की चपेट में आए हैं।
सहारनपुर, जेएनएन। एड्स ने सहारनपुर में अपने चंगुल में करीब ढाई हजार मरीजों को जकड़ लिया है। पड़ताल में यह मरीज चुनिदा मोहल्लों और बस्तियों से निकलकर सामने आ रहे हैं। इनमें से अधिकांश मरीज असुरक्षित यौन संबंधों के जरिए एड़्स की चपेट में आए हैं। हर दिन औसतन एक नया मरीज इन बस्तियों से निकल रहा है, जबकि काउंसलिग के लिए पांच से 15 के बीच मरीज हर रोज पहुंच रहे हैं। सालभर में एड्स मरीज तीन सौ का आंकड़ा पार कर रहे हैं।
एड़्स के सर्वाधिक मरीज नकुड़, गंगोह, देवबंद, नानौता क्षेत्र से आ रहे हैं। वहीं, जनकपुरी क्षेत्र में ही अकेले 52 मरीज है। इन क्षेत्रों में मरीजों का बढ़ना स्वास्थ्य विभाग की चिता का विषय बना हुआ है। काउंसलिग में एड़्स के पीछे असुरक्षित यौन संबंध ही सामने आ रहा है। एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी) सेंटर के नोडल अधिकारी डा. आरके टंडन ने बताया कि करीब 13 बच्चे भी एड्स पीड़ित है। अधिकतर यह वह बच्चे हैं, जिनके माता-पिता में से किसी को एड्स है। जिले में कुल 2612 एड्स पीड़ित मरीज है। जिला अस्पताल में एआरटी सेंटर के अलावा देवबंद, सरसावा, नानौता, गंगोह कस्बों में भी एआरटी सेंटर खोलकर एड्स का उपचार किया जा रहा है। फतेहपुर में आइसीटीसी (इंटीग्रेटेड काउंसलिग एंड ट्रेनिग सेंटर) खोला गया है।
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यह है पांच साल का आंकड़ा
वर्ष मरीजों की संख्या
2015 289
2016 277
2017 322
2018 343
2019 339
2020 में अभी तक 211 है।
ऐसे करें बचाव
- जीवन साथी के प्रति वफादार रहे।
- असुरक्षित यौन संबंध कतई ना बनाए।
- समय-समय पर जांच कराती रहनी चाहिए।
- हमेशा सरकारी या लाइसेंस वाले ब्लड बैंक से ही ब्लड ले।
- ब्लड लेते समय ये जरूर देख ले कि रक्तदाता एचआइवी पाजिटिव तो नहीं है।
ऐसे होता एड्स
- संक्रमित महिला या पुरुष के साथ असुरक्षित यौन संबंध से।
- एचआइवी संक्रमित मरीज का खून स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाने से।
-संक्रमित सुई द्वारा इंजेक्शन लगने से
यह होते हैं एचआइवी के लक्षण
सिर में दर्द होना, डायरिया, थकान, गले का सूखना, मांसपेशियों में दर्द होना, शरीर पर सूजन, छाती पर लाल रैशेज और लगातार 10 दिन तक हल्का बुखार होना एड्स के लक्षण है।
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जिला अस्पताल के अलावा अब देवबंद, सरसावा, नानौता, गंगोह में एआरटी सेंटर है। प्रतिदिन यहां पर पांच से 15 मरीजों की काउंसलिग होती है। लोग भी खूब अपनी जांच कराने के लिए आते हैं।
डा. बीएस सोढ़ी, सीएमओ