रोगियों से पट गया जिला अस्पताल

By Edited By: Publish:Wed, 22 May 2013 11:20 PM (IST) Updated:Wed, 22 May 2013 11:25 PM (IST)
रोगियों से पट गया जिला अस्पताल

सहारनपुर : दृश्य-एक : जिला अस्पताल की ओपीडी। ओपीडी की लाइन में लगी नाजिया को उल्टी-दस्त हो गए हैं। वह लाइन में लगी है। एक घंटा से अधिक समय हो गया है, लेकिन नंबर नहीं आया। मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है।

दृश्य-दो : जनरल वार्ड। मिर्जापुर के आरिफ को डायरिया हो गया है। उसे दो दिन पहले भर्ती किया गया था। हालत में कुछ सुधार तो हुआ, लेकिन यहां पर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। कई दवाएं तो उन्हें बाहर की लिखी गई हैं।

दृश्य-तीन : महिला वार्ड। नानौता की अफसाना तीन दिन पहले डायरिया से परेशान होकर यहां जिला अस्पताल में भर्ती हुई थीं। पहले तो बेड ही नहीं मिला। बाद में उन्हें नसरीन के बेड पर ही लिटा दिया गया। हालांकि अभी तबियत में पूरी तरह से सुधार नहीं है। न तो यहां पंखा चल रहा और न ही पानी मिल रहा है।

इन दृश्यों को विस्तार दे दीजिए तो जिला अस्पताल की हालत का अंदाजा खुद-ब-खुद लग जाता है। तीन दिन में जिला अस्पताल में क्षमता से दो गुने मरीजों को भर्ती किया जा चुका है। एक बेड पर दो-दो मरीज हैं। महिला वार्ड, बच्चा वार्ड, पुरुष वार्ड, जनरल वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, हड्डी वार्ड, जच्चा-बच्चा वार्ड सबकी हालत खराब है।

296 बेड पर 487 मरीज

पिछले एक सप्ताह से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। बुधवार को यहां ओपीडी में 257 मरीजों ने खुद दिखाया। इनमें से 71 मरीज इमरजेंसी में भर्ती कराए गए। जबकि एक सप्ताह में 151 मरीज भर्ती किए गए हैं। इनमें अधिकांश मरीज डायरिया व हीट स्ट्रोक के शिकार हैं।

न बिजली न पानी

प्रचंड गर्मी और न बिजली न पानी। यह हाल है जिला अस्पताल का। यहां जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल बेहाल है। यहां घंटों बिजली न होने के कारण मरीज अकुलाए नजर आ रहे हैं। तीमारदारों का कहना है कि यहां घंटों बिजली नहीं रहती। पानी की भी किल्लत है।

स्टाफ भी नहीं है पूरा

मंडल मुख्यालय का यह 296 बेड का बड़ा जिला अस्पताल है। 34 लाख जनसंख्या वाले जनपद में मुख्यालय के जिला अस्पताल में 42 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। लेकिन यहां केवल 28 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। यहां पर 14 चिकित्सकों की कमी है।

इनके नहीं हैं विशेषज्ञ

-कार्डियोलॉजी।

-इमरजेंसी में दो चिकित्सक कम।

-ट्रामा सेंटर में चिकित्सक व स्टाफ नहीं।

-फिजियोथेरेपिस्ट।

-स्किन चिकित्सक।

-प्लास्टिक सर्जन।

-यूरोलॉजिस्ट।

-न्यूरो फिजीशियन।

-न्यूरो सर्जन।

-डायलिसिस विशेषज्ञ।

इनका कहना है

गर्मी में मरीजों की संख्या बढ़ी है। मरीज बढ़ने के कारण यहां बेड कम पड़ गए हैं। क्षमता से अधिक मरीज होने के बेड साझा कम कराया जा रहा है। सबसे बड़ी समस्या स्टाफ कम होने की है। व्यवस्थाओं को सुचारू करने के हर संभव जतन किए जा रहे हैं।

-डा. आरपी शर्मा,

सीएमएस।

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