आर्य समाज के वार्षिकोत्सव पर हुआ यज्ञ

वैदिक भजन उपदेशक पंडित मुकेश आर्य ने एक से बढ़कर एक भजन सुनाकर सभी का मन मोह लिया। इसमें कर ले भला होगा भला बस यही संसार में जीने की है कला तू जो पाप में जीवन बिताएगा याद रखना बहुत पछताएगा आदि भजन सुनाए जिस पर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर झूम उठे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 11:42 PM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 11:42 PM (IST)
आर्य समाज के वार्षिकोत्सव पर हुआ यज्ञ
आर्य समाज के वार्षिकोत्सव पर हुआ यज्ञ

रामपुर, जेएनएन : आर्य समाज रामपुर शहर का 123वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर चल रहे पांच दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को ब्रह्म यज्ञ, देव यज्ञ हुआ। इसमें विश्व कल्याण की भावना के साथ लोगों ने आहुतियां दीं। इसके बाद सत्संग हुआ।

वैदिक भजन उपदेशक पंडित मुकेश आर्य ने एक से बढ़कर एक भजन सुनाकर सभी का मन मोह लिया। इसमें कर ले भला होगा भला, बस यही संसार में जीने की है कला, तू जो पाप में जीवन बिताएगा याद रखना बहुत पछताएगा आदि भजन सुनाए, जिस पर श्रोता मंत्रमुग्ध होकर झूम उठे।

वैदिक धर्म उपदेशक एवं सरस वेद कथाकार आचार्य संजीव रूप ने ब्रह्म यज्ञ के वेद मंत्रों की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि परमात्मा की ही उपासना करनी चाहिए, वही जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

इस अवसर पर आर्य समाज के वरिष्ठ सदस्य डा. अनिल कुमार एवं वरिष्ठ महिला सदस्य चंचल आर्य को शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। अंत में आर्य समाज के प्रधान ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन असित रस्तोगी एवं प्रवीण आर्य ने किया। इस मौके पर आर्य समाज के प्रधान कमल कुमार आर्य, राजीव मांगलिक, सुभाष चंद्र रस्तोगी, कौशल्या नंदन, पुरोहित बृजेश कुमार शास्त्री आदि मौजूद रहे। यज्ञ मनुष्य का मुख्य कर्म

संस, रामपुर : आर्य समाज की ओर से शुक्रवार को ज्वालानगर में 11 कुंडीय वैदिक महायज्ञ प्रारंभ हुआ। इसमें महावीर सिंह मुमुक्षु द्वारा वैदिक मंत्रों से विधि-विधान के साथ यज्ञ संपन्न कराया गया। इस दौरान उन्होंने यज्ञ के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि यज्ञ मनुष्य का मुख्य कर्म है। यज्ञ कर्म के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता। अगर आप सभी को अपना जीवन सफल करना है। यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है। जब वातावरण शुद्ध होता है तो उस स्थान से बीमारियां दूर रहेंगी। दान भी करना चाहिए। दान करने से कमाया गया धन शुद्ध होता है। सत्संग से बुद्धि शुद्ध होती है। इस मौके पर भगवत स्वरूप आर्य, ओमवी सिंह वैदिक, हरिदत्त कर्मठ, राजवीर आर्य, सत्य प्रकाश आर्य, गिरेंद्र सिंह आर्य, भारत सिंह आर्य, अमन सिंह आर्य, वेद प्रकाश आर्य, भजन लाल आर्य, सुरेश श्रीवास्तव, चंद्र लेखा आर्य, गायत्री आर्य, मुन्नी देवी, ललिता, शिवालिका आदि मौजूद रहे।

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