मुफलिसों के घर फैला रहीं इल्म की रोशनी

भास्कर सिंह रामपुर कहते हैं कि एक शिक्षित महिला दो परिवारों को ज्ञान की रोशनी देती

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 11:00 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 11:37 PM (IST)
मुफलिसों के घर फैला रहीं इल्म की रोशनी
मुफलिसों के घर फैला रहीं इल्म की रोशनी

भास्कर सिंह, रामपुर : कहते हैं कि एक शिक्षित महिला दो परिवारों को ज्ञान की रोशनी देती है। अगर महिला अपनी शिक्षा का सही इस्तेमाल करे तो पूरे समाज को बेहतर बनाने में योगदान दे सकती है। शहर के मिस्टन गंज में रहने वाली अंजू मेहरोत्रा इसकी मिसाल हैं। वह घरेलू महिला हैं। आम महिलाओं की तरह पति और बच्चों की देखभाल करती हैं। इसके अलावा वह मुफलिसी (गरीबी) के चलते स्कूल न जाने वाले बच्चों को भी इल्म (शिक्षा) की रोशनी दिखा रही हैं। चार साल पहले उन्होंने इस मुहिम की शुरुआत की थी। तब उन्होंने गरीब बच्चों को ढूंढकर अपने स्तर से स्कूल में दाखिला दिलाया। स्कूल ड्रेस, किताबें आदि मुहैया कराई। बाद में अपनी जैसी और महिलाओं को जोड़ लिया और एक एनजीओ बना लिया। अब तक उनकी एनजीओ के माध्यम से 165 बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। ऐसे मिली प्रेरणा अंजू बताती हैं कि वह एक दिन अपने पति विनीत मेहरोत्रा के साथ कार से जा रही थी। कार का टायर पंक्चर हो गया। पंक्चर जुड़वाने के लिए रुके तो देखा वह मात्र 10 साल का बच्चा था। पंक्चर जोड़ते समय उससे बातचीत की तो उसने बताया कि पिता गरीब हैं। पढ़ाई करने के लिए पैसे नहीं हैं। मजबूरी में यह काम करता है। वहां से जाने के बाद भी बच्चे की बातें उनके दिमाग में घूमती रहीं। तब फैसला किया कि अपने क्षेत्र में ऐसे बच्चों की तलाश कर उन्हें स्कूल भेजेंगी। इसके बाद उन्होंने अपने घर के आसपास ऐसे तीन बच्चों को तलाश किया, जिनके माता-पिता मजदूरी करते थे। गरीबी के कारण तीनों बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। उन्होंने तीनों के माता-पिता से बात की। उन्हें पढ़ाई का महत्व समझाया। इसके बाद अपने पास से तीनों बच्चों का उनके घर के पास ही एक निजी स्कूल में दाखिला करा दिया। उनकी फीस, स्कूल ड्रेस, कापी किताबें आदि का खर्च अपने पास से किया। ऐसा करके मन को बहुत सुकून मिला। इसके बाद यह सिलसिला शुरू हो गया। बाद में उन्होंने अपनी जैसी सोच रखने वाली अन्य महिलाओं को भी जोड़ा और अब एनजीओ बनाकर इस मुहिम को आगे बढ़ा रही हैं। एनजीओ से जुड़ चुकी हैं 25 महिलाएं

अंजू कहती हैं कि शिक्षा की रोशनी फैलाने के लिए जो पेड़ लगाया था, वो अब अनुभव शिक्षा ज्योति सोसाइटी नाम का पेड़ बन गया है। इस नाम से हमने एनजीओ बनाया है। चार साल पहले जिस एनजीओ की अकेले शुरुआत की थी, उसमें अब 25 महिलाएं जुड़ चुकी हैं। इस एनजीओ से जुड़ी महिला सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में ऐसे बच्चों पर नजर रखती हैं। जहां भी ऐसे बच्चे मिलते हैं, उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाया जाता है। उनकी एनजीओ अब तक 165 बच्चों का दाखिला करा चुकी है। इनमें कई बच्चे अंग्रेजी स्कूलों में भी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वह बताती हैं कि उनकी एनजीओ को शासन स्तर से कोई मदद नहीं मिलती हैं। हालांकि कहीं दिक्कत आती है तो प्रशासन या शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिलकर उसे दूर कराती हैं।

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