तुम चाहो तो भारत फिर से विश्वगुरू हो सकता है

रामपुर : मानस सत्संग मंडल की ओर से कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं के जर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Mar 2017 10:05 PM (IST) Updated:Tue, 28 Mar 2017 10:05 PM (IST)
तुम चाहो तो भारत फिर से विश्वगुरू हो सकता है
तुम चाहो तो भारत फिर से विश्वगुरू हो सकता है

रामपुर : मानस सत्संग मंडल की ओर से कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं के जरिए प्रेम का बखान किया, तो श्रोताओं में राष्ट्रवाद की अलख भी जगाई। यही नहीं हास्य व्यंग और नेताओं के चरित्र भी खूब तीर छोड़े गए। देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन में तालियों की गड़गड़ाहट रही।

सिविल लाइंस स्थित आदर्श रामलीला मैदान में हुए कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक कल्याण एवं ¨सचाई राज्यमंत्री बलदेव औलख, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश शर्मा, मंडल के अध्यक्ष सुभाष नंदा, विश्व ¨हदू परिषद की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य धनंजय पाठक और कार्यक्रम संयोजक जुगेश अरोड़ा उर्फ कुक्कू ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद कवियित्री डॉ. भुवन मोहिनी ने सरस्वती वंदना पेश की और शुरू हुआ कविताओं का दौर। राजस्थान के मेवाड़ से आए वीर रस के कवि योगेन्द्र शर्मा ने युवाओं में राष्ट्रवाद की चेतना का संचार करते हुए कहा कि-

तुम चाहों तो कतरा कतरा रत्नाकर हो सकता है,

तुम चाहो तो कंकर कंकर शिवशंकर हो सकता है।

तुम चाहो तो रामराज्य का दौर शुरू हो सकता है,

तुम चाहो तो भारत फिर से विश्वगुरू हो सकता है।

उनकी यह कविता सुनते ही पूरा पंडाल तालियों से गूंज उठा। भारत मां के जयकारों के साथ ही युवाओं ने कवि का स्वागत किया। जबलपुर से आए हास्यरस के कवि सुदीप भोला ने लोगों को जमकर गुदगुदाया। उन्होंने अपने ही अंदाज में सियासी दिग्गजों पर कविता पेश करते हुए कहा कि-

नमो नमो के नारे, खूब हुए जयकारे,

काशीवाले विश्वनाथ ने खोल दिए भंडारे।

मोदी के सारे विरोधियों में मेल हो गया

उसके बाद भी मम्मी का पप्पू फेल हो गया।

इसके बाद कवि धीरज चंदन ने बेहद सदे हुए लहजे में श्रृंगार रस का बखान किया। उन्होंने एकता और प्रेम का समन्वय स्थापित करते हुए कहा कि-

अगर दो हाथ न जुड़ते, तो अभिनंदन कहां होता,

अगर ये सिर नहीं झुकता, तो वंदन कहां होता।

तेरी आंखे, तेरी बातें, तेरी जुल्फें,

अगर ये सब नहीं होते, तो हम सब कहां होते।

उनकी इस कविता को श्रोताओं का अपार समर्थन मिला। इसके बाद इटावा से आए वीररस के कवि गौरव चौहान ने जोशीले अंदाज में काव्यपाठ किया। उन्होंने देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं के साथ ही पंडाल में बैठे श्रोताओं को भारत माता और वंदे मातरम जैसे नारे लगाने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन देश को एकता के सूत्र में पिरोती हुई उनकी दो पंक्तियों ने सभी का दिल जीत लिया। कहा कि-

हम भारत मां के बेटे हैं, यह सबकी जीवनदाता है,

किसी एक धर्म की नहीं, बल्कि सवा अरब की माता है।

इंदौर से आईं कवियित्री डॉ. भुवन मोहिनी ने नारी सशक्तिकरण से लेकर समाज में नारी के योगदान की झलक दिखाते हुए काव्यपाठ किया। उन्होंने सौंदर्य और प्रेम का संगम व्यक्त करते हुए कहा कि-

एक अधूरी कहानी, मुझमें भी है,

धड़के दिल जो, वो जवानी मुझ में भी है।

तुम जो छू लो, तो शिवाला बनूं प्रेम का,

एक मीरा दीवानी, तो मुझमें भी है।

इस बीच संचालन कर रहे कवि राहुल अवस्थी ने भी बीच बीच में अपनी रचिनाओं के जरिए सामाजिक व्यवस्था और राजनीति को लेकर व्यंग किए। अंत में कवि सम्मेलन संयोजक जुगेश अरोड़ा ने सभी का अभार जताया। इस अवसर महेश जुनेजा, राजीव मांगलिक, अनुज सक्सेना, डॉ. संजीव अग्रवाल, सुभाष भटनागर, राजीव ¨सघल, अनिल वशिष्ठ, शैलेन्द्र शर्मा, अमित मेंदीरत्ता, रविप्रकाश अग्रवाल, वीरेन्द्र गर्ग आदि उपस्थित रहे।

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