अब आक्सीजन सिलिडर के लिए तहसील से टोकन जरूरी

प्रशासन ने सिलिडर रिफिलिग की व्यवस्था में किया बदलाव पहले इलाज की पर्ची और आधार कार्ड पर मिल जाता था सिलिडर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 12:11 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 12:11 AM (IST)
अब आक्सीजन सिलिडर के लिए तहसील से टोकन जरूरी
अब आक्सीजन सिलिडर के लिए तहसील से टोकन जरूरी

अंबेडकरनगर : संक्रमण की चपेट में आने के बाद होम आइसोलेट लोगों को आखिरकार सोमवार को भी आक्सीजन सिलिडर के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा। इस बीच प्रशासन ने इन मरीजों को सिलिडर रिफिल कराने की व्यवस्था भी बदल डाली। अब इसके लिए तहसील से टोकन लेना होगा। इसके चलते सोमवार को एक दर्जन सिलिडरों को ही रिफिल किया जा सका।

टांडा के काश्मिरियां मुहल्ले में जनपद का एकमात्र आक्सीजन प्लांट है। कोरोना की चपेट में आने के बाद होम आइसोलेट लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने पर आक्सीजन सिलिडर की जरूरत पड़ रही है। इन मरीजों की संख्या क्षेत्र में काफी है। अब तक इलाज के पर्चे व आधार कार्ड देने पर सिलिडर रिफिल हो जाता था। रविवार को सुबह से लाइन में खड़े तीमारदारों को दोपहर बाद यह कहकर वापस कर दिया गया था कि पहले तहसील से टोकन लेकर आओ फिर सिलिडर रिफिल होगा। काफी मशक्कत के बाद देर सायं तहसील से एक दर्जन लोगों को टोकन उपलब्ध हो पाया। अधिकांश मरीजों को इस दौरान सिलिडर रिफिल कराने के लिए भटकना पड़ा। सोमवार दोपहर लगभग दो बजे प्लांट पर आक्सीजन लिक्विड गैस पहुंचा। यहां लाइन में लगे तीमारदारों में आक्सीजन सिलिडर रिफिल होने की उम्मीद जगी, लेकिन राजस्व कर्मियों ने उन्हें तहसील से टोकन लाने को कह दिया। लाइन में खड़े लोगों को सिलिडर न मिल पाने का हवाला देकर भगाने का भी प्रयास किया गया। किछौछा के आतिफ रविवार रात 12 बजे से ही लाइन में लगे रहे। उम्मीद थी कि सुबह सिलिडर मिल जाएगा और उसकी मां रजिया की उखड़ी सांसें ठीक हो जाएंगी, लेकिन सुबह होते ही उसकी पर्ची काटने से मना कर दिया गया। शाम तीन बजे तक वह गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी, जबकि तमाम लक्जरी गाड़ियों से कई सिलिडर दूसरे गेट से ले जाए जाते दिखे। इसकी शिकायत टांडा एसडीएम अभिषेक पाठक से की गई तो उन्होंने एक काउंटर तहसील में खोलकर वहां से टोकन व्यवस्था लागू कर दिया। इससे तीमारदारों की मुसीबतें घटने के बजाय और बढ़ गईं।

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