मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

मुगलसराय में हुई घटना के बाद मो. याकूब ने लिया हादसों में घायलों की मदद का संकल्प

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 11:06 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 11:06 PM (IST)
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

रायबरेली : मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना..। गोकुलपुर के मो. याकूब पर यह लाईनें सटीक बैठ रहीं हैं। कहीं से खबर मिल भर जाए कि कोई सड़क हादसा हुआ है, यह शख्स दौड़ पड़ता हैं। सिर्फ इसलिए कि कही कोई घायल तड़प न रहा हो। किसी की जान इलाज के बिना न चली जाए। हर जख्मी को तत्काल अस्पताल पहुंचाना वह अपना धर्म समझता है। फिर चाहे व किसी भी जाति और वर्ग का हो, अमीर हो या गरीब हो।

जगतपुर ब्लॉक क्षेत्र के रहने वाले याकूब का ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय है। इसी के साथ वह अपने गांव के प्रधान भी हैं। अक्सर देखा गया है कि जब कहीं सड़क हादसे होते हैं तो तमाम लोग तमाशबीन बन जाते हैं। लेकिन, याकूब ऐसे व्यक्तियों में हैं, जो अपने दूसरे काम छोड़कर मदद के लिए पहुंच जाते हैं। बिना सरकारी मदद का इंतजार किए वह अपने वाहन से घायलों को सीएचसी पहुंचाते हैं। जरूरत पड़ने पर 20 किमी दूर जिला अस्पताल तक ले जाते हैं। निस्वार्थ भाव से घायलों की मदद करने का उनका यही काम उन्हें इलाके में अलग पहचान दिलाता है।

मुगलसराय की घटना ने दिखाई राह

मो. याकूब को दूसरों की मदद की यह राह मुगलसराय में उनके साथ घटी एक घटना ने दिखाई। याकूब बताते हैं कि वर्ष 1997 में वह एक बार किसी काम से मुगलसराय गए थे। वहां एक हादसे में वह गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उस जमाने में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी हाईटेक नहीं थी कि फोन करते एंबुलेंस पहुंच जाए। तब ग्रामीणों ने उनकी जान बची। इसी के याकूब ने संकल्प लिया और 23 साल से घायलों की मदद कर रहे हैं।

तीन दिन बाद आया था बोरे में बंधे युवक को होश

करीब 10 साल पहले कुंडा जिले के दिलावरपुर के एक युवक को बोरे में भरकर लखनऊ-प्रयागराज हाईवे के किनारे फेंक दिया गया था। हर बार की तरह मो. याकूब मौके पर पहुंचे। बोरा खोला गया तो खून से लथपथ युवक की सांसें चल रहीं थी। उन्होंने अपने वाहन से जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां तीन दिन बाद उसे होश आया।

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