एंबुलेंस अनफिट, खतरे में मरीजों-कर्मचारियों की जान
रायबरेली जिन एंबुलेंस का उपयोग मरीजों घायलों की जान बचाने के लिए किया जा रहा वे खुद अ
रायबरेली : जिन एंबुलेंस का उपयोग मरीजों, घायलों की जान बचाने के लिए किया जा रहा, वे खुद अनफिट हैं। ऐसे में पीड़ितों और कर्मचारियों की जान भी खतरे में है। हैरत की बात यह है कि इस बारे में स्वास्थ्य महकमा बेफिक्र है, परिवहन विभाग भी अनजान बना है।
मरीजों की सहूलियत के लिए शासन की ओर से जिले को 98 एंबुलेंस दी गई हैं। जिला अस्पताल, महिला अस्पताल के अलावा 18 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक मरीजों को पहुंचाने की जिम्मेदारी इन्हीं की होती है। इससे कइयों को समय से इलाज मिल जाने के कारण उनकी जान बच जाती है। समय के साथ ही अधिकतर एंबुलेंस खुद खस्ताहाल हैं। अलम यह है कि दरवाजे को बांधना पड़ता है। शीशा जुगाड़ के सहारे रोका गया है। पहिया और ब्रेक कम जवाब दे जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। हाल में ऐसा मामला डीह में सामने आया था। मरीज को लेने जा रही एंबुलेंस का पहिया ही निकल गया था। गनीमत रही कि रफ्तार तेज नहीं थी, वरना बड़ा हादसा हो जाता। इसी तरह आए दिन अन्य क्षेत्रों से भी एंबुलेंस के खराबी की खबर आती रहती है।
इनसेट तीन-चार महीने पहले समाप्त हो चुका फिटनेस सर्टिफिकेट
जिले में चल रही एंबुलेंस नंबर यूपी 41जी/1249 का फिटनेस सर्टिफिकेट 26 मार्च 2021 तक ही वैध था। तीन महीने पहले ही यह कालातीत हो गया। इसी तरह यूपी 41जी/ 1161 का फिटनेस 22 फरवरी 2021 तक ही वैध था। इसके बावजूद इनका संचालन हो रहा है। यह दो मामले तो सिर्फ बानगीभर हैं। बताते हैं कि इसी तरह कई और वाहन भी नियम विरुद्ध ढंग से चलाए जा रहे हैं।
फैक्ट फाइल
44 - एंबुलेंस 108 सेवा
40 - एंबुलेंस 102 सेवा
04 - एंबुलेंस अल्टरनेट लाइफ सपोर्ट
04 - मेडिकल मोबाइल यूनिट
इनसेट कागजों पर दौड़ रहीं कई एंबुलेंस
महकमे के अफसरों का दावा है कि शासन से मिली शतप्रतिशत एंबुलेंस मरीजों की सेवा में लगी हैं। ये फिट भी हैं। वहीं हकीकत यह है कि कुछ एंबुलेंस पूरी तरह से कंडम हो चुकी हैं। कुछ गैराज में खड़ी हैं तो कई सीएचसी व पीएचसी परिसर में। अधिकारी कागजों पर ही इन्हें चला रहे हैं।
इनकी भी सुनें
जिले को मिली सारी एंबुलेंस पूरी तरह से फिट हैं। सभी चलाई भी जा रही हैं। फिटनेस सर्टिफिकेट कालातीत होने की जानकारी नहीं है। वैसे भी यह काम परिवहन विभाग का है।
डॉ. वीरेंद्र सिंह मुख्य चिकित्सा अधिकारी