जमीन किसी की, कब्जा किसी का

रायबरेली : लखनऊ- इलाहाबाद हाईवे पर सिविल लाइन से पास पांच बीघा की जमीन पर कब्जे को लेकर पिछले कई मही

By Edited By: Publish:Mon, 18 Jul 2016 10:33 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jul 2016 10:33 PM (IST)
जमीन किसी की, कब्जा किसी का

रायबरेली : लखनऊ- इलाहाबाद हाईवे पर सिविल लाइन से पास पांच बीघा की जमीन पर कब्जे को लेकर पिछले कई महीनो से गरमाहट है। जमीन का एग्रीमेट कराने वाले और लेने वाले दोनों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर एफआरआई दर्ज होने के बाद मामला फिर सुर्खियों में है। पूरे मामले में शहर पुलिस की भूमिका अब संदिग्ध बतायी जा रही है। पूरे मामले की लीलापोती करने की कवायद की जा रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय के मामले को संज्ञान में लेने के बाद जिला प्रशासन ने भी इसकी अपने स्तर से जांच कराने की बात कही थी लेकिन जांच कहां तक पहुंची यह कोई अफसर बताने को तैयार नहीं है। ज्ञातव्य है कि कमला नेहरू एजुकेशन सोसाइटी के जिम्मेदारों ने घालमेल करके किराए की जमीन को फ्रीहोल्ड करा लिया और ददुआ के परिजन के नाम एग्रीमेंट कर दिया। आखिर यह अधिकार किसने दिया कि किराए की जमीन को एग्रीमेंट की परिधि से बांध दिया जाए। मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण प्रशासन मूक बना हुआ है वहीं जमीन पर 50 साल से काबिज दुकानदार व मकान मालिक खुद को जमीन का हकदार बता रहे हैं।

सन 1973 में पूर्व सांसद व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रायबरेली में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कालेज खोलने की मंशा जाहिर की थी तो उस दौरान उनकी किचन कैबिनेट की मंत्री शीला कौल ने कालेज खोलने के लिए योजना बनाई। आनन-फानन कमला नेहरू एजुकेशन सोसाइटी खोल दी गई और बाराबंकी रूदौली निवासी बाबू कैलाश चंद्र को पक्ष में लेकर किराए पर कालेज की आधारशिला रखने का प्रस्ताव तैयार किया गया। 30 साल का किरायानामा कमला नेहरू एजुकेशन सोसाइटी के नाम पर बना। गाटा संख्या 137 पर इस जमीन को दिखाया गया। सन 1977 में कांग्रेस की हार के बाद कालेज की फाइल को बंद कर दिया गया। उसके बाद कभी इसकी ओर मुड़कर नहीं देखा गया। सन 2003 में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मैनेजर व सोसाइटी के सचिव सुनील देव ने जमीन को प्रशासानिक मशीनिरी के साथ मिलकर फ्रीहोल्ड करा लिया। इसकी खबर किसी को नहीं लगी। फ्रीहोल्ड के लिए गाटा संख्या 1453 से 1455, 1457 से 1461 व 1463 को निशाना बनाया गया। 10 मई 2011 को राजस्व निरीक्षक जोपी श्रीवास्तव ने मालिकाना हक व फ्रीहोल्ड को लेकर ड एम अमृता सोनी के सामने प्रस्तुत किया तो उन्होंने जांच बैठा दी थी। इस पर नजूल बाबू ने रिपोर्ट दी थी कि धोखे से फ्रीहोल्ड कराया गया है। जब तक डीएम कुछ कर पाती तब तक उनका तबादला करा दिया गया। उसके बाद किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की हिम्मत जांच करने में नहीं जुट सकी।

किस बात की पेशबंदी

सचिव सुनील देव ने चतुराई से जमीन का एग्रीमेंट ददुआ के भाई व पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल से कराया। असल में सुनील को मालूम है कि प्रदेश में सपा सरकार है और जमीन पर कब्जा कैसे किया जाता है यह ददुआ के परिवार को मालूम है। इसी के चलते सुरेश मौर्या को धमकाया गया और सात लोगों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमा पट्टी विधायक राम ¨सह, पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल, सचिव सुनील देव, सुनील तिवारी, रमा पटेल, राकेश पटेल के खिलाफ दर्ज हुआ है। कोतवाल कमलेश पांडेय का कहना है कि सुरेश मौर्या ने पेशबंदी के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। जबकि यह बात गले से नहीं उतर रही है क्योंकि जब जमीन पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल की पत्नी रमाबाई के नाम पर हो चुकी है तो वह जमीन पर कब्जा करने से कैसे पीछे रह सकते हैं। इसी के चलते घटना हुई। पुलिस मामले में सत्ता पक्ष के दबाव के कारण कोतवाली में बैठे रहकर खेल कर रही है।

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