औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा जगदीशपुर गांव

शासन की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना से जुड़कर समूह की महिलाएं विकास की इबारत लिख रही हैं। एक ओर जहां महिलाएं अच्छी खासी आय कर रही हैं वहीं दूसरी ओर गांव की गरीब महिलाओं को आजीविका से जोड़ रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 05:26 PM (IST) Updated:Tue, 22 Dec 2020 03:11 AM (IST)
औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा जगदीशपुर गांव
औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा जगदीशपुर गांव

प्रवीन कुमार यादव, प्रतापगढ़ : शासन की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना से जुड़कर समूह की महिलाएं विकास की इबारत लिख रही हैं। एक ओर जहां महिलाएं अच्छी खासी आय कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर गांव की गरीब महिलाओं को आजीविका से जोड़ रही हैं।

जिले के मानधाता ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत जगदीशपुर इन दिनों औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। शासन की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से दो दिसंबर 2018 को गांव की महिलाओं को जोड़ा गया। यानि समूह का गठन हुआ। इसके बाद उनको पखवारे भर की ट्रेनिग दी गई। तीन माह बाद यानि अप्रैल माह में रिवाल्विग फंड के तहत 15 हजार रुपये दिया गया। उसके दो माह बाद महिलाओं को सामुदायिक निवेश निधि के तहत एक लाख 10 हजार रुपये दिया गया। महिलाओं ने दोना व पत्तल बनाने के लिए कानपुर से उपकरण (डाई) मंगाया है। गांव की चार दर्जन से अधिक महिलाएं योजना से जुड़कर दोना पत्तल बना रही हैं। दुर्गा आजीविका स्वयं सहायता समूह की प्रियंका कुमारी, रीता देवी गांव में बड़े पैमाने पर दोना पत्तल बना रही हैं। इनको देख गांव के कुछ अन्य महिलाएं भी इस पर काम करने की तैयारी में हैं। जहां यह महिलाएं आय से गरीबी को मात दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर समूह की महिलाएं विकास की इबारत लिख रही हैं। डीसी एनआरएलएम ओपी यादव के निर्देश पर जिला मिशन प्रबंधक रतन कुमार मिश्रा, सुनीता सरकार, सुमन पांडेय व अख्तर मसूद ने भी महिलाओं को बकायदा प्रशिक्षित किया है।

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बाजारों में पहुंच रहा समूह का पत्तल

समूह की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे पत्तल को कटरा गुलाबसिंह, जेठवारा, बिहार, बाघराय सहित अन्य बाजारों में पहुंचाया जा रहा है। इसकी अच्छी खासी डिमांड है। समूह की महिलाओं के मुताबिक वह बाजार रेट से सस्ते दाम पर दोना पत्तल बेच रही हैं। इस वजह से इसकी मांग अधिक अधिक है।

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20 रुपये पैकेट है पत्तल

समूह द्वारा बनाए जा रहे एक पैकेट में 25 पत्तल रहता है। इसकी कीमत 20 रुपये है। वहीं दोना भी एक पैकेट में 50 से 100 पीस रहता है। उसका भी मूल्य करीब 35 से 40 रुपये है। हर माह इससे होने वाली आय से समूहों की महिलाओं में पैसे का बंटवारा होता है। इस व्यवसाय से महिलाएं खुश हैं। हर माह करीब 30 से 50 हजार रुपये की आय हो रही है।

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समूह से जुड़ने के बाद अचानक जो बदलाव हुआ है। मैने कभी सोचा नहीं था। पत्तल व दोना के व्यवसाय से अच्छी आमदनी हो रही है। घर के लोगों को रोजगार भी मिला है। समूह से न जुड़ती तो शायद यह बदलाव नहीं होता।

-प्रियंका कुमारी

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दो साल पहले परिवार की स्थिति काफी खराब थी। छोटी सी आय में परिवार का खर्च चलना मुश्किल हो गया था। स्वयं सहायता समूह से मिलने वाले फंड व निण्धि से व्यवसाय शुरू किया। अब हमारा परिवार खुशहाल है।

-रीता देवी

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शासन की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना से जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। दूसरों को भी आजीविका से जोड़ रही हैं। गांव की कई महिलाएं दोना व पत्तल बनाकर गरीबी को मात दे रही हैं।

-नफीस अहमद, ब्लाक मिशन प्रबंधक (मानधाता)

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