किन्नू की फसल लगाकर लाखों कमा रहे लख¨वदर

घुंघचाई (पीलीभीत): मौसम की मार से त्रस्त किसान हर बार घाटा उठाकर पारंपरिक खेती पर द

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Dec 2017 10:50 PM (IST) Updated:Tue, 05 Dec 2017 10:50 PM (IST)
किन्नू की फसल लगाकर लाखों कमा रहे लख¨वदर
किन्नू की फसल लगाकर लाखों कमा रहे लख¨वदर

घुंघचाई (पीलीभीत): मौसम की मार से त्रस्त किसान हर बार घाटा उठाकर पारंपरिक खेती पर दांव लगाता हैं लेकिन इसके अलावा अन्य विकल्पों में दलहन, तिलहन, फूल, फल, सब्जी जैसी खेती के विकल्पों पर ध्यान नहीं देता है जिसके कारण अन्नदाता का जीवन बदहाल होता जा रहा है। इस व्यवस्था से हटकर किन्नू फलों की खेती कर पिपरिया मझरा के लख¨वदर ¨सह ने नए विकल्प को चुना। बागवानी से बची जगह में मौसमी साग सब्जी की पैदावार कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। वह इलाके के किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं।

जनपद की जमीन किसानों के लिए फसलों के लिए उपयोगी व सोना उगलने वाली है लेकिन अधिकांश काश्तकार गेहूं, गन्ना और धान की खेती को ही विकल्प चुनते आ रहे हैं। इसमें कभी कभार मौसम की मार इन पर भारी पड़ जाती है और पारंपरिक खेती में नुकसान काश्तकारों को उठाना पड़ता है। किसानों को उचित मुआवजा भी नहीं मिल पाता है। पिपरिया मझरा निवासी लख¨वदर ¨सह ने कई बार किसानी में घाटा उठाकर दूसरी खेती का विकल्प चुना और किन्नू फल की बागवानी का परिजनों से मिलकर फैसला लिया। इसके बाद किसान ने ढाई एकड़ किन्नू फलों की बागवानी शुरू की। इसकी शुरूआत में तीन सालों तक फल तो नहीं मिले लेकिन बची हुई जमीन में मौसमी सब्जी की खेती कर घाटे की भरपाई कर ली। किसान ने बताया कि यह फसल तीन साल बाद फसल देना शुरू कर देती है जो करीब साठ साल तक किसान की किस्मत को बदलती रहती है। आज यह उन्नतशील किसान बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर समेत अन्य मंडियों को फलों का उत्पादन दे रहा है। हर तीसरे महीने फसल मिलने से मुनाफा बढ़ता जा रहा है।

बीमारियों में लाभकारी है किन्नू फल

किन्नू फल विशेषज्ञों की राय में लीवर व अन्य बीमारियों के लिए काफी लाभदायक है। यह संतरा प्रजाति का होने के कारण इसकी डिमांड भी काफी है। वहीं पेड़ों के बड़े होने के बावजूद इसमें मौसमी सब्जियों की खेती कर किसान द्वारा अच्छा मुनाफा कमाया जा रहा है। किसान द्वारा क्षेत्र में पहला प्रयोग काफी सराहनीय है। काश्तकारों को फसल चक्र बदलते हुए समय की मांग के अनुरूप खेती करनी चाहिए जिससे उन्हें किसानी में लाभ मिले।

35 से 40 रुपये किलो के मिल रहे दाम

भौगोलिक स्थिति न होने के बावजूद किसान की मेहनत की उपज का फसल है। लख¨वदर ¨सह ने बताया कि यह फल राजस्थान, पंजाब में होता है लेकिन काश्तकार रेतीली जमीनों में क्षणिक प्रयास कर इसकी बागवानी कर सकता है। अच्छा लाभ होगा और फलों के दाम भी अच्छे मिलेंगे। इस समय इस फल की कीमत 35 से 40 रुपये प्रति किलो थोक के भाव मिल रहा है। इससे किसान अपनी तकदीर को बदल सकता है। जैविक खेती से इसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

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