रोग बारिश का, वैक्सीन सर्दी की
पीलीभीत : गर्मी शुरू हो गयी है। अगला मौसम बरसात का है। इस मौसम में सबसे अधिक मवेशियों की मौत होती है। इसका कारण बनता है गलाघोंटू। हर बार की तरह इस बार भी पशुपालन विभाग के पास इस बीमारी से बचाव को पुख्ता इतजाम नहीं है। गलाघोंटू की वैक्सीन लगनी थी, लेकिन यह नहीं मंगवायी गयी। जबकि सर्दियों में खुरपका-मुंहपका से बचाने वाली वैक्सीन छह माह पहले ही विभाग ने स्टॉक कर ली।
जिले में पशुओं की संख्या करीब छह लाख है। इन पशुओं के स्वास्थ्य का जिम्मा पशुपालन विभाग के पास है, लेकिन विभाग जिम्मेदारी से भटक गया है। पिछली घटनाओं से सबक भी नहीं लिया। पूर्व में गलाघोंटू रोग से सैंकड़ों पशुओं की मौत हो गयी थी।इसका कारण समय से वैक्सीनेशन का कार्य पूरा न होना है। तमाम पशु ऐसे थे जिनके टीके लगे ही नहीं। विभागीय अफसरों ने कागजी कोरम पूरा कर लिया था।
चिकित्सकों के अनुसार गलाघोंटू रोग वायरस जनित है जो हवा के साथ फैलता है। एक पशु से सैकड़ों पशु ग्रसित हो सकते है। चिकित्सकों का कहना है कि बरसात के समय यह रोग फैलता है। इसके लिये टीकाकरण बारिश होने से एक माह पूर्व होना चाहिये। तभी दवा कारगर होती है। लापरवाही बरतते ही पशुओं की जान चली जाती है। मालूम हो कि जिले के सोलह पशु चिकित्सालयों है। साथ ही चार डी क्लास के वेटनरी और पच्चीस पशु सेवा केंद्र है। जहां लंबे समय से चालीस फीसदी पद रिक्त है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी आरजी गुप्ता का कहना है कि प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। कुछ ही दिनों में वैक्सीन आ जायेगी। काम समय से निपटा लिया जायेगा। खुरपका मुंहपका के लिये पहले ही वैक्सीन आ गयी है।
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