आजादी के बाद से हर लोकसभा चुनाव में लिख रहे मतदान की इबादत

बचपन से जवानी तक जिन आंखों ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होते देखा उन आंखों की रोशनी धुंधली होने के बाद भी लोकतंत्र के प्रति वही सिद्त वही आस्था सिर चढ़ कर बोली। आजादी के बाद से लोकतंत्र के हर महापर्व पर वोट की आहुति देने वाले बुजुर्ग अपनों का सहारा लेकर एक बार फिर मतदान केंद्र तक पहुंचे। मतदान को लेकर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Apr 2019 07:26 PM (IST) Updated:Fri, 12 Apr 2019 06:17 AM (IST)
आजादी के बाद से हर लोकसभा चुनाव में लिख रहे मतदान की इबादत
आजादी के बाद से हर लोकसभा चुनाव में लिख रहे मतदान की इबादत

मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा:

बचपन से जवानी तक जिन आंखों ने देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होते देखा, उन आंखों की रोशनी धुंधली होने के बाद भी लोकतंत्र के प्रति वही शिद्दत वही आस्था सिर चढ़ कर बोली। आजादी के बाद से लोकतंत्र के हर महापर्व पर वोट की आहुति देने वाले बुजुर्ग अपनों का सहारा लेकर एक बार फिर मतदान केंद्र तक पहुंचे। मतदान को लेकर आज भी उनके अंदर वही जोश था जो पहले महापर्व पर था।

आजादी के बाद देश में 1951 में पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए थे। इस बार 17 वीं लोकसभा का चुनाव हो रहा है। देखने में आता है कि चुनावों में वोट डालने में हर व्यक्ति हर बार उत्साह नहीं दिखाता। लेकिन बहुत से मतदाता ऐसे भी हैं मतदान के प्रति जिनका जोश पहले लोकसभा चुनाव से शुरू हुआ और आज तक जारी है। बीमारी, चलने-फिरने में असमर्थता ने भी ने भी उनके जोश को कम नहीं होने दिया। इस जोश के नायकों में से एक हैं मेहमदपुर गांव निवासी सुमित्रा (94)। वह बताती हैं कि वक्त के साथ यादें तो धुंधली होती गई लेकिन मतदान हर बार किया। पहली बार 1951 में मतदान किया था। पहली बार मतदान करने के लिए जोश था। परिवार के लोगों के साथ मतदान करनी गई थी। प्रचार-प्रसार, मतदान करने व अन्य चीजों में वक्त के साथ बहुत अंतर आया है। परिवार के सदस्यों व आस-पास के लोगों को भी प्रेरित करती हूं कि मतदान अवश्य करें। रुस्तमपुर गांव निवासी इंद्रवती(93) बताती हैं, आजादी के बाद हुए पहले चुनाव को देखते हुए एक-एक व्यक्ति में गजब का उत्साह था। सभी लोग अपना-अपना नेता चुनने के लए आतुर रहते थे। लेकिन अब वह बातें आते नजर नहीं आती हैं। मेरा हमेशा से यह प्रयास होता है कि मतदान के दिन सबसे पहले वोट डाल दूं। मनोरमा शर्मा(92) व बिलासपुर निवासी धूम सिंह मावी(95) ने भी लगातार 17 वीं बार लोकसभा चुनाव में मतदान किया। उनका कहना है पूर्व में जाति-धर्म के साथ ही आपसी मतभेद व अन्य चीजें हावी नहीं रहती थीं। लेकिन अब चुनावों में इनका बोलबाला रहता है। पहली लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक सिर्फ पार्टी के प्रत्याशी, छवि, विकास कार्यों आदि चीजों को देखने के बाद वोट देते हैं। प्रयास होगा जब तक सांस रहे मतदान करुं।

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