कुदरती तरीके से सिखा रहे स्वस्थ जिदगी जीने की कला

अजब सिंह भाटी ग्रेटर नोएडा रसायनयुक्त औषधियों के सेवन से बचने के लिए लोग एक बार फिर योग और प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लौट रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 08:24 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 08:24 PM (IST)
कुदरती तरीके से सिखा रहे स्वस्थ जिदगी जीने की कला
कुदरती तरीके से सिखा रहे स्वस्थ जिदगी जीने की कला

अजब सिंह भाटी, ग्रेटर नोएडा : अनुचित खान-पान, शारीरिक एवं दिमागी तनाव ने आज इंसान की सेहत को बिगाड़ कर रख दिया है। भले ही आधुनिक दवाओं ने कई लाइलाज रोगों पर जीत पाई हो, लेकिन मौजूदा महंगे इलाज से आम आदमी परेशान है। साइड इफेक्ट अलग से। शायद यही वजह है कि रसायनयुक्त औषधियों के सेवन से बचने के लिए लोग एक बार फिर योग और प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लौट रहे हैं। सूबे में गोरखपुर के आरोग्य मंदिर, मेरठ के पांचली के साथ गौतमबुद्धनगर के डुढेरा गांव में भी पिछले चार साल से नेचुरोपैथी से इलाज किया जा रहा है। यहां देश के विभिन्न राज्यों के साथ ही नेपाल, भूटान आदि देशों से भी लोग उपचार कराने पहुंच रहे हैं। चिकित्सक उदयवीर ने बताया कि प्रतिदिन एक या दो मरीज का इस पद्धति से उपचार हो रहा है। गंभीर मरीज बिना दवा-गोली के इस पद्धति से स्वस्थ हो रहे हैं। मिट्टी से हो रहा गंभीर बीमारियों का इलाज :

प्राकृतिक चिकित्सा में मिट्टी को रोगनिवारक माना जाता है। मिट्टी से शरीर पर लेप को 'मड थेरेपी' कहते हैं। रसायनमुक्त मिट्टी को जमीन के दो से तीन फिट नीचे से निकाला जाता है। इसके बाद शरीर पर आधी इंच मोटी परत चढ़ाई जाती है। यह परत स्किन को ऑक्सीजन आपूर्ति के साथ शरीर में जमा विकार (टॉक्सिन) को बाहर निकालती है। मिट्टी लेपकर मरीज को धूप में बिठा देते हैं। मिट्टी सूखने के बाद उन्हें स्नान कराया जाता है। मिट्टी से शरीर पर लेप से मानसिक तनाव, बेचैनी, घबराहट, अनिद्रा, घुटनों में दर्द, ब्लड प्रेशर, त्वचा संबंधी विकार के अलावा कई अन्य गंभीर रोगों में चमत्कारी लाभ मिलता है। यह नसों की कमजोरी से होने वाले सभी रोगों में लाभदायक है। इसी तरह जल की भाप, गर्म पानी, नीबू पानी के प्रयोग से पेट संबंधी विकार दूर किए जा रहे हैं।

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