अभियान : पौधों की देखभाल संतान की तरह कर रोपण को दिया जा सकता है बढ़ावा

चंद्रशेखर वर्मा ग्रेटर नोएडा महज पौधारोपण भर करने से हरियाली नहीं लाई जा सकती। जरूर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 08:23 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:04 AM (IST)
अभियान :  पौधों की देखभाल संतान की तरह कर रोपण को दिया जा सकता है बढ़ावा
अभियान : पौधों की देखभाल संतान की तरह कर रोपण को दिया जा सकता है बढ़ावा

चंद्रशेखर वर्मा, ग्रेटर नोएडा : महज पौधारोपण भर करने से हरियाली नहीं लाई जा सकती। जरूरत है, रोपे गए पौधों की देखभाल कर उनकी सुरक्षा की। तभी पौधारोपण का असल उद्देश्य पूरा हो पाएगा। पर्यावरणविदों का मानना है कि पौधारोपण के कार्य में बच्चों को जोड़कर बढ़ावा दिया जा सकता है। बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार देकर मनोबल बढ़ाया जा सकता है। वहीं, पौधों की देखभाल संतान की तरह की जाए तो उन्हें वृक्ष बनने से कोई नहीं रोक सकता।

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पौधारोपण के लिए बच्चों की ली जाए मदद

श्वेता अग्रवाल ड्राप बाय ड्राप फाउंडेशन चलाती हैं। वह पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को साथ में जोड़ती हैं। उनका कहना है कि बच्चों का मन व दिमाग साफ होता है। उनको किसी भी विषय के बारे में आसानी से समझाया जा सकता है। ऐसे में पौधारोपण के लिए बच्चों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। उनको रोपे गए पौधों की देखभाल करने के लिए भी कहा जा सकता है। हर छह महीने से साल में एक बार उन्हें प्रोत्साहित भी कर सकते हैं। इससे बच्चों का मनोबल बढ़ेगा। खाली समय में पौधे लगाने व देखभाल करने से वह पर्यावरण के करीब रह सकते हैं। समय-समय पर झुग्गी-झोपड़ी आदि में बच्चों को ले जाकर अन्य को पौधों को जानकारी देने को कहा जा सकता है।

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पौधारोपण के लिए ²ढ़ निश्चय की जरूरत

पर्यावरणविद ओम रायजादा का मानना है कि हर काम की तरह पौधारोपण के लिए भी ²ढ़ निश्चय होना चाहिए। पौधारोपण कर केवल इतिश्री कर लेने से पर्यावरण संरक्षण का सपना पूरा नहीं हो पाएगा। पौधे लगाने के बाद उनकी सुरक्षा प्राथमिकता में होनी चाहिए। इन्हें बचाने के लिए ट्री गार्ड (पौधे की घेराबंदी के लिए स्टील से बनी सामग्री) का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, इनकी कीमत दो से ढाई हजार रुपये के बीच होती है। ऐसे में जिन खाली स्थानों में चारदीवारी की गई है। वहां पर पौधारोपण किया जा सकता है। इससे लोगों के अलावा जानवर पौधों को नष्ट नहीं कर पाएंगे। सरकारी विभाग के कर्मचारियों को भी एक-एक पौधा लगाकर उसे गोद लेना चाहिए।

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गोबर में बीज डालकर करें पौधारोपण

पर्यावरणविद अनुज कुमार भार्गव ने बताया कि पौधारोपण करने से पहले उस जगह की मिट्टी की जांच की जानी चाहिए। वहां सिचाई की स्थिति कैसी है। बीज की क्वालिटी, खाद आदि की जानकारी होनी भी जरूरी है। साथ ही कीड़े लगने पर कौन सी दवाई देनी है, इसका भी ज्ञान होना जरूरी है। इन सबका ज्ञान नहीं होने पर 10 से 15 फीसद पौधे सूख जाते हैं। पौधारोपण करने से पहले बीजों को गोबर में रख देना चाहिए। इसके बाद बरसात के मौसम में उस बीज को गोबर के साथ ही जमीन पर लगाना चाहिए। इस तरह से पौधरोपण करने से पौधे के जीवत रहने की संभावनाएं बढ़ जाती है। पौधों का पालन संतान की तरह करना चाहिए। उचित देखभाल से ही पौधारोपण को बढ़ावा दिया जा सकता है।

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पौधारोपण के लिए जागरूक किए जाने की जरूरत

प्रिया भाटी पर्यावरण संरक्षण दल पसंद से जुड़ी हुई हैं। जुनपत गांव व आसपास के क्षेत्र में पिछले बरसात के सीजन में एक हजार औषधीय व फलदार पौधे लगा चुकी हैं। इस मौसम में भी उनका लक्ष्य एक हजार पौधे रोपित करने का है। प्रिया बताती हैं कि पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। जानकारी के अभाव में लोग पेड़-पौधों का महत्व नहीं समझ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह किसानों को चारदीवारी वाली खाली पड़ी जमीन में पौधारोपण को लेकर जागरूक करती हैं। वह किसानों को बताती हैं कि खाली पड़ी जमीन से किस तरह आमदनी की जा सकती है। खेतों के मेड़ों में पौधे लगाकर आर्थिक रूप से सशक्त हुआ जा सकता है। उनकी अपील का असर काफी किसानों पर हुआ और खाली पड़ी जमीन पर पौधे लगाए गए हैं।

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