विशु की गुरुकुल में साधना, दिन-रात कर रही कड़ी मेहनत; ओलंपिक बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतना है लक्ष्य

विशु पाल ने शानदार सफर से यह साबित कर दिया है कि मंजिल भले अभी दूर हो लेकिन रास्ता उसके लिए नहीं है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पिता ने विशु पाल को अपने से दूर गुरुकुल में भेज दिया। विशु पाल ने बताया कि उसके पिता कैंटीन चलाते हैं। उसका सपना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का है।

By Ankur Tripathi Edited By: Abhishek Tiwari Publish:Sun, 24 Mar 2024 08:47 AM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2024 08:47 AM (IST)
विशु की गुरुकुल में साधना, दिन-रात कर रही कड़ी मेहनत; ओलंपिक बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतना है लक्ष्य
विशु की गुरुकुल में साधना, ओलंपिक बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक जीतना है लक्ष्य

HighLights

  • दो बार जीता राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक
  • कैंटीन के सहारे चल रहा सात लोगों का परिवार

अंकुर त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। सहारनपुर के महर्षि दयानंद गुरुकुल में 13 वर्षीय किशोर बॉक्सिंग की साधना में लीन है। उसका लक्ष्य ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का है। वह गुरुकुल में दिन रात कड़ी मेहनत कर अब तक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में दो बार स्वर्ण पदक जीत चुका है।

ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक कांप्लेक्स में चल रहे सब जूनियर राष्ट्रीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में विशु पाल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में जगह बना ली। विशु पाल ने शानदार सफर से यह साबित कर दिया है कि मंजिल भले अभी दूर हो लेकिन रास्ता उसके लिए नहीं है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पिता ने विशु पाल को अपने से दूर गुरुकुल में भेज दिया।

पिता चलाते हैं कैंटीन

विशु पाल ने बताया कि उसके पिता कैंटीन चलाते हैं। कैंटीन के सहारे ही सात लोगों का परिवार चल रहा है। गुरुकुल में रह कर पढ़ाई करना आसान नहीं है। यहां साधना अधिक करनी पड़ती है। सर्दी,गर्मी,और वर्षा हर मौसम में सुबह चार बजे से उठा दिया जाता है। उसके पर नित क्रिया करके अभ्यास के लिए निकल जाता हूं। दो घंटे सुबह और दो घंटे शाम को बॉक्सिंग का अभ्यास करता हूं।

विशु ने बताया कि उसका सपना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने का है। दो साल की मेहनत से यहां तक का सफर तय कराया है। गुरुकुल के नियम और कानून में रहकर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जगह पक्की हुई है। विशु ने बताया कि उन्हें विश्वास है कि वह देश व उत्तर प्रदेश के लिए ओलंपिक 2028 में स्वर्ण पदक जरूर जीतेंगे।

बॉक्सिंग खेलने से पहले कई लोगों में कहा कि इस खेल का कोई भविष्य नहीं है,लेकिन इस खेल को ही भविष्य बनाने की ठान ली। सब जूनियर राष्ट्रीय बॉक्सिंग प्रतियोगिता में सेमीफाइनल में जगह पक्की होने पर उन्हें भरोसा है कि वह इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतेंगे।

दो बार जीता राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक

2021 में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हार के बाद विशु ने हार नहीं मानी। विशु ने 2022 और 2023 में स्वर्ण पदक जीता। दो साल की मेहनत ने विशु को दो बार स्वर्ण पदक का सफर तय कराया। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में विशु करीब 50 से अधिक पदक जीत चुके है।

फेडरेशन के महासचिव ने लिया गोद

यूपी बॉक्सिंग फेडरेशन के महासचिव प्रमोद कुमार ने विशु पाल को गोद ले लिया है। उन्होंने बताया कि विशु पाल में वह क्षमता है जो भारत को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिला सकती है। विशु को हर प्रकार की मदद फेडरेशन की ओर से देने का फैसला लिया गया है।

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