आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले हजारों लोगों को कैसे मिलेगी राहत, पढ़िए- यह स्टोरी

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर की अधर में फंसी परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन को जिम्मेदारी दी है। एनबीसीसी रास्ता निकालने में जुट गया है।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 26 Jul 2019 02:39 PM (IST) Updated:Fri, 26 Jul 2019 02:47 PM (IST)
आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले हजारों लोगों को कैसे मिलेगी राहत, पढ़िए- यह स्टोरी
आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में निवेश करने वाले हजारों लोगों को कैसे मिलेगी राहत, पढ़िए- यह स्टोरी

लखनऊ/नोएडा, जेएनएन। आम्रपाली बिल्डर की परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये की जरूरत का नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) ने अनुमान लगाया है। इस पूंजी को बिल्डर की प्रॉपर्टी व निवेशकों से जुटाया जाएगा। एनबीसीसी ने 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाने का रोडमैप सुप्रीम कोर्ट में दिया है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा आम्रपाली बिल्डर की परियोजनाओं के निवेशक से मिलेगा। निवेशकों से वसूल कर दूसरी जगहों पर निवेश की गई रकम की रिकवरी से तीन हजार करोड़ से अधिक रकम जुटाई जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली बिल्डर की अधर में फंसी परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए एनबीसीसी को जिम्मेदारी सौंप दी है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इन परियोजनाओं को पूरा करने में खर्च होने वाली रकम को जुटाने की है। परियोजनाओं को पूरा कराने का दारोमदार भी उन निवेशकों के कंधे पर टिका है, जिनकी गाढ़ी मेहनत की कमाई बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है।

एनबीसीसी ने सुप्रीम कोर्ट को जो रोडमैप सौंपा है, उसके तहत वह 11320.42 करोड़ रुपये जुटा सकता है, जबकि परियोजना को पूरा करने में करीब साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। एनबीसीसी को उम्मीद है कि फंसी परियोजनाओं को पूरा करने में कोई अड़चन नहीं होगी।

निवेशकों से वसूले जाएंगे साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये
आम्रपाली बिल्डर की विभिन्न परियोजना में करीब 42 हजार निवेशक हैं। इनसे 3624.65 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। फ्लैट बेचकर 321.31 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे। बिल्डर की कामर्शियल प्रॉपर्टी के निवेशकों से 89.83 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे।

बिना बिके फ्लैट व कामर्शियल प्रॉपर्टी से मिलेंगे 23 सौ करोड़: बिल्डर परियोजनाओं में बड़ी संख्या में बिना बिके फ्लैट हैं। एनबीसीसी इन फ्लैट की बिक्री से 1991.69 करोड़ रुपये जुटाएगा। इसके अलावा कामर्शियल प्रापॅर्टी को बेचकर 345.78 करोड़ रुपये वसूले जाएंगे। इस लिहाज से एनबीसीसी बिल्डर परियोजनाओं के मौजूदा निवेशकों व बचे हुए फ्लैट एवं कामर्शियल प्रापॅर्टी को बेचकर चार हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाएगा, जो फंसी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए जरूरी धनराशि का लगभग आधा है।

निवेशकों से वसूले गए रुपये वापस मिलने की एनबीसीसी को उम्मीद
आम्रपाली बिल्डर ने निवेशकों से 12 हजार करोड़ से अधिक रकम वसूलकर उसका अधिकतर हिस्सा अन्य कंपनियों में निवेश कर दिया था। एनबीसीसी का आकलन है कि निवेशकों के 3152.30 करोड़ रुपये का डायवर्जन किया गया। एनबीसीसी इस रकम को वापस वसूलकर बिल्डर परियोजनाओं को पूरा करने में लगाएगा।

आम्रपाली मामले में बढ़ती जा रहीं धौनी की मुश्किलें
आम्रपाली समूह मामले में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा धौनी की कंपनी से निवेशकों का पैसा वापस लेने के आदेश के बीच कारोबारी संगठन कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान को भेजे एक ज्ञापन में आम्रपाली समूह को बढ़ावा देने वाले भ्रामक विज्ञापन को लेकर धौनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। कैट ने कहा कि महेंद्र सिंह धौनी ने विज्ञापन के माध्यम से आम्रपाली परियोजनाओं में फ्लैट खरीदने के लिए लोगों को बहुत प्रभावित किया है। बिल्डर दोषी पाया गया है, इसलिए महेंद्र सिंह धौनी की भी जवाबदेही बनती है।

उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि मशहूर हस्तियां विज्ञापनों के लिए बड़ी रकम लेते हैं, लेकिन बिना तथ्यों की पुष्टि किए कि वे जिस सामान या सेवाओं का समर्थन कर रहे हैं वह उसके लायक है या नहीं इसकी जवाबदेही नहीं लेते। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से संसद के वर्तमान सत्र में उपभोक्ता सुरक्षा विधेयक पारित करने को सुनिश्चित करने की मांग की।

बिल्डरों पर नोएडा प्राधिकरण का 17 हजार करोड़ बकाया
आम्रपाली समूह पर सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा कसने के बाद अब नोएडा प्राधिकरण की भी नींद खुली है। जल्द ही बिल्डरों को बकाया वसूली के लिए आवंटन रद करने का अंतिम नोटिस भेजा जा सकता है। नोएडा प्राधिकरण का बिल्डरों पर वर्षों से लगभग 17000 करोड़ रुपये का बकाया है। जिसमें अकेले आम्रपाली समूह पर ही 2200 करोड़ रुपये है। नोएडा प्राधिकरण ने जून 2018 में करीब 50 बिल्डरों को बकाया नहीं चुकाने में ब्लैक लिस्ट घोषित किया था, इसमें आम्रपाली, यूनिटेक, थ्री सी जैसे बड़े-बड़े बकायेदारों के नाम शामिल हैं। लेकिन, आज तक अधिकारियों ने बिल्डरों की जमीन का आवंटन रद कर अपने कब्जे में लेने की हिम्मत ही नहीं जुटाई।

नुकसान की भरपाई नहीं होगी आसान
आम्रपाली बिल्डर से बैंक व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को तगड़ा झटका लगा है। निवेशकों से जुड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनबीसीसी ने बिल्डर की जिन प्रापॅर्टी से रकम जुटाने की योजना बनाई है। इसके अतिरिक्त बिल्डर की प्रॉपर्टी से बैंक व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को हुए घाटे की भरपाई होनी है। लेकिन यह प्रापॅर्टी काफी कम है। इससे मात्र तीन सौ से चार सौ करोड़ रुपये जुटने का ही अनुमान है। जबकि बिल्डर पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 3680 करोड़ रुपये की देनदारी बताई जा रही है।

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