बाल सुरक्षा दिवस: एचआइवी बच्चों की जिंदगी संवार रहे हैं ‘आशीष’

34 वर्षीय आशीष माहेश्वरी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) में एसिस्टेंट कम्यूनिकेशन मैनेजर थे।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 01:19 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 01:19 PM (IST)
बाल सुरक्षा दिवस: एचआइवी बच्चों की जिंदगी संवार रहे हैं ‘आशीष’
बाल सुरक्षा दिवस: एचआइवी बच्चों की जिंदगी संवार रहे हैं ‘आशीष’

नोएडा [आशीष धामा]। कुछ लोग भाग्य के भरोसे जिंदगी जीते हैं, तो कुछ शर्तों के मुताबिक। ऐसे लोग अपने लक्ष्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए भविष्य की भी परवाह नहीं करते। मूलत: फरीदाबाद स्थित बल्लभगढ़ निवासी आशीष माहेश्वरी की जिंदगी सुकून से गुजर रही थी। लेकिन एक प्रेरणा ने उनकी सोच बदल दी। आज आशीष एक एनजीओ में एचआइवी संक्रमित बच्चों की देखभाल करते हैं और उनकी जिंदगी संवारने में जुटे हैं। 34 वर्षीय आशीष माहेश्वरी राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) में एसिस्टेंट कम्यूनिकेशन मैनेजर थे। वहां से काम छोड़ने के बाद उन्होंने डिजायर सोसायटी एनजीओ में काम करना शुरू कर दिया।

दो साल पहले वह काम के सिलसिले से हैदराबाद ट्रेनिंग पर गए, वहां उनकी मुलाकात संस्था के संस्थापक हैदराबाद निवासी जी रवि बाबू से हुई। ट्रेनिंग के दौरान रवि बाबू ने उन्हें अपने एक दोस्त की मौत के बारे में बताया। उनकी मौत एचआइवी से हुई थी। उन्होंने बताया कि वह दोबारा एचआइवी के कारण किसी अपने को नहीं खोना चाहते। देश में ऐसे कई अनाथ बच्चे हैं जो एचआइवी संक्रमित है और जिंदगी मौत के बीच जूझ रहे हैं। रवि बाबू ने उन्होंने ऐसे बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए प्रेरित किया। बस यहीं से आशीष ने ठान लिया कि वह समाज में कलंक मानी जाने वाली बीमारी एचआइवी से मुकाबला करने वाले मरीजों का हौसला बढ़ाएंगे। अब वह नोएडा सेक्टर-92 स्थित डिजायर सोसायटी नामक एनजीओ को चला रहे हैं। यहां 5 वर्ष से 13 वर्ष की उम्र के 28 बच्चे हैं। इनमें 7 बालिका व 21 बालक है। ये सभी बच्चे अनाथ हैं। इनमें एचआइवी के संक्रमण का कारण भी मदर-टू-चाइल्ड है।

प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करते हैं बच्चे

आशीष बताते हैं कि संस्था का मकसद केवल बच्चों की देखभाल करना ही नहीं, बल्कि उनके जीवन में शिक्षा का प्रकाश भी भरना है। बच्चे सेक्टर-93 स्थित एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करते हैं। संस्था ने मैनेजमेंट से किसी को उनकी बीमारी के बारे में जानकारी न देने के लिए कहा है, ताकि उनकी पढ़ाई में किसी तरह की बाधा न आ सके। एक बच्चे की पढ़ाई पर प्रति वर्ष 30 से 40 हजार रुपये खर्च होते हैं।

देश में पांच जगह चल रहे संस्था कें केंद्र

संस्था धीरे-धीरे अपने केंद्रों की संख्या में भी इजाफा कर रही है। फिलहाल नोएडा के अलावा हैदराबाद, बंगलुरु, विशाखापट्टनम और मुबंई में भी संस्था के केंद्र खुले हैं। यहां पर सिर्फ एचआइवी बच्चों की ही देखभाल की जाती है। इन केंद्रों में इस समय 300 से अधिक बच्चे हैं।

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