कर वसूली के लिए पहली नीलामी नहीं चढ़ सकी परवान

आयकर विभाग की नोएडा में कर वसूली के लिए नीलामी की पहली कार्रवाई सिरे नहीं चढ़ी। मेसर्स निवास प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित प्रोजेक्ट की बृहस्पतिवार को नीलामी होनी, लेकिन कोई खरीदार इसमें शामिल नहीं हुआ। अब आयकर विभाग कंपनी के निदेशक राहुल चमोला की निजी संपत्तियों की तलाश कर उन्हें अटैच करने की कार्रवाई करेगा। बताया जाता है कि रियल एस्टेट की खराब स्थिति के कारण ग्रुप हाउ¨सग की खरीदारी के लिए कोई रूचि नहीं दिखा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Oct 2018 09:56 PM (IST) Updated:Thu, 25 Oct 2018 09:56 PM (IST)
कर वसूली के लिए पहली नीलामी नहीं चढ़ सकी परवान
कर वसूली के लिए पहली नीलामी नहीं चढ़ सकी परवान

जागरण संवाददाता, नोएडा : आयकर विभाग की नोएडा में कर वसूली के लिए नीलामी की पहली कार्रवाई सिरे नहीं चढ़ी। मेसर्स निवास प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित प्रोजेक्ट की बृहस्पतिवार को नीलामी होनी थी, लेकिन कोई खरीदार इसमें शामिल नहीं हुआ। अब आयकर विभाग कंपनी के निदेशक राहुल चमोला की निजी संपत्तियों की तलाश कर उन्हें अटैच करने की कार्रवाई करेगा। बताया जाता है कि रियल एस्टेट की खराब स्थिति के कारण ग्रुप हाउ¨सग की खरीदारी के लिए कोई रुचि नहीं दिखा रहा है।

अपर आयकर आयुक्त (टीडीएस) निहार रंजन पांडेय के निर्देश पर सेक्टर-63 स्थित ई-44 एबी टॉवर मेसर्स निवास प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड की नीलामी की प्रक्रिया शुरू की गई थी। आयकर की बकाया राशि 1,63,41,267 रुपये एवं देय ब्याज का भुगतान न होने पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया जाना था। बिल्डर की ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित एच-एक डी सेक्टर-10 स्थित ग्रुप हाउ¨सग प्लॉट को इस साल जनवरी में अटैच किया गया था। नीलामी के लिए 3,01,47,000 रुपए रिजर्व प्राइस निर्धारित किया गया है। प्रॉपर्टी की कुल कीमत 40 करोड़ रुपये से ज्यादा आंकी गई थी, लेकिन बिल्डर पर प्राधिकरण का भी बकाया होने के कारण आयकर विभाग ने अपनी कर वसूली को ध्यान में रख रिजर्व प्राइस निर्धारित किया था। बृहस्पतिवार को सुबह 11 बजे बोली लगनी थी, लेकिन दोपहर करीब दो बजे तक कोई खरीदार बोली में शामिल नहीं हुआ।

आयकर अधिकारी एचएन राय ने बताया कि कंपनी के निदेशक राहुल चमोला का कोई अता पता नहीं है। आयकर वसूली के लिए अब दो ही रास्ते बचे हैं। पहला निदेशक की निजी संपत्तियों को अटैच करने की कार्रवाई की जाए। दूसरा रास्ता बिल्डर प्रोजेक्ट के आरक्षित मूल्य में कमी लाकर फिर से बोली लगवाई जाए। दोनों ही विकल्पों पर अग्रिम कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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