सचिन पायलट के गांव में कांग्रेस के प्रति भारी रोष

धर्मेंद्र चंदेल ग्रेटर नोएडा सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष पद से हट

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 09:39 PM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 09:39 PM (IST)
सचिन पायलट के गांव में कांग्रेस के प्रति भारी रोष
सचिन पायलट के गांव में कांग्रेस के प्रति भारी रोष

धर्मेंद्र चंदेल, ग्रेटर नोएडा : सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद उनके पैतृक गांव वैदपुरा में भी कांग्रेस का भारी विरोध शुरू हो गया है। ग्रामीणों ने पार्टी और गांधी परिवार के खिलाफ रोष जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें एक सोची-समझी साजिश के तहत हटाया गया है। कांग्रेस को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। राजस्थान के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व महाराष्ट्र के गुर्जर भी कांग्रेस का विरोध करेंगे। पायलट उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के वैदपुरा गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत राजेश पायलट साधरण परिवार से ताल्लुक रखते थे। राजेश पायलट पढ़ाई के साथ-साथ वैदपुरा से दिल्ली दूध बेचने भी जाते थे। एयरफोर्स में पायलट की नौकरी के बाद उन्होंने कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की थी। हालांकि, उन्होंने अपनी कर्मभूमि राजस्थान को बनाया, लेकिन अपने पैतृक गांव से कभी नाता नहीं तोड़ा। सचिन भी उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वैदपुरा के लोगों ने उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और भाजपा की लहर में भी राजेश पायलट और अब सचिन के चलते कांग्रेस का साथ दिया। लोकसभा चुनाव हो अथवा विधानसभा सभी में कांग्रेस को गांव में भारी मत मिलते रहे हैं। राजेश पायलट का ही प्रभाव था कि गांव के रहने वाले सुरेंद्र गोयल कांग्रेस के टिकट पर एक बार गाजियाबाद से सांसद भी चुने गए थे।

उनके चेचरे भाई महिपाल सिंह विधुड़ी व गजराज सिंह नागर ने कहा कि सचिन पायलट ने राजस्थान में कांग्रेस के फिर से सत्ता में लाने के लिए के जमीन तैयार की थी। गांव-गांव जाकर पसीना बहाया, वे जेल भी गए, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया। अब उन्हें उप मुख्यमंत्री पद से हटाकर समूचे गुर्जर समाज का अपमान किया है। इसका खामियाजा कई प्रदेशों में भुगतना पड़ेगा। बलवीर सिंह ने रोष जाहिर करते हुए कहा कि गांधी परिवार नहीं चाहता कि कांग्रेस में कोई और युवा नेता उभरकर आए। इससे राहुल की राह कठिन हो सकती है, इसलिए युवा नेताओं को सोची समझी रणनीति के चलते किनारे किया जा रहा है। कांग्रेस को इससे भारी नुकसान होगा। बाक्स

गौतमबुद्धनगर से विमुख हो सकते हैं कांग्रेसी

गृह जनपद होने की वजह से गौतमबुद्ध नगर की राजनीति में पहले राजेश पायलट और अब सचिन का यहां सीधा दखल रहता था। इनके कहने पर ही पार्टी के जिलाध्यक्ष बनाए और हटाए जाते थे। लोकसभा व विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में भी अहम भूमिका होती थी। राजेश पायलट के समय में गुर्जरों के बड़े नेता और कारोबारी मिलकिग के नाम से मशहूर चौधरी वेदराम नागर, लखीराम नागर व नोएडा के बिसनपुर गांव के चौधरी जिले सिंह उनके करीबी हुआ करते थे। नोएडा के जोगिदर अवाना इस समय राजस्थान की नंदबई से कांग्रेस विधायक हैं, वे भी पूर्व में सचिन के नजदीकी रहे हैं, लेकिन इस समय वे अशोक गहलोत का समर्थन कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने जिस तरह सचिन पायलट को किनारे किया है, उससे गौतमबुद्ध नगर ही नहीं समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेसी पार्टी से विमुख होंगे। खासकर गुर्जर नेता कांग्रेस को बाय-बाय कर सकते हैं।

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