विकास की गलियों में भर रहे प्रचार के रंग

चुनाव में विकास का मुद्दा अहम होता है। पिछले चुनाव में जनता से वोट

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 08:32 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 08:32 PM (IST)
विकास की गलियों में भर रहे प्रचार के रंग
विकास की गलियों में भर रहे प्रचार के रंग

मनीष तिवारी, ग्रेटर नोएडा:

चुनाव में विकास का मुद्दा अहम होता है। पिछले चुनाव में जनता से वोट मांगने के दौरान जिले के जनप्रतिनिधियों ने विकास के बड़े-बड़े वादे किए थे। वादों की बदौलत जीत कर माननीय बन गए। कुछ ही वादे पूरे हो सके। जीत के बाद कई गांव में जनप्रतिनिधि दोबारा पहुंचे भी नहीं। अब वोट मांगने के लिए निकलने से पहले उन्हीं गांवों रुख कर रहे हैं जहां पर कुछ विकास कार्य कराए गए हैं। जिन गांवों में वादों के अनुरूप विकास नहीं कराए वहां जाने पर विरोध का डर सता रहा है।

वोट मांगने के लिए आने वाले जनप्रतिनिधियों से जनता को विकास की विभिन्न उम्मीदें होती हैं। जनता से विकास के बड़े-बड़े वादे कर ही नेता वोट प्राप्त करते हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में वोट मांगने पहुंचे नेताओं ने गांवों में सड़क, खडं़जा, नाली, स्ट्रीट लाइट, तालाबों की सफाई, युवाओं को रोजगार, किसानों को 64 फीसद अतिरिक्त मुआवजा , मुआवजे की दर बढ़वाने, जिन किसानों की जमीन का अधिग्रहण हुआ है उन्हें दस फीसद का प्लाट दिलाने सहित विभिन्न वादे किए थे। विधायकों को प्रतिवर्ष दो करोड़ रुपये की विकास निधी मिलती है। साथ ही विधायक प्राधिकरण व नगर पालिका से भी विभिन्न विकास कार्य कराते हैं। पांच वर्षो के कार्यकाल में विधायकों ने विभिन्न गांवों में विकास कार्य कराए, लेकिन पिछले चुनाव में जनता से किए गए सभी वादे पूरे नहीं हुए। किसानों से किए गए वादे तो गिनती के ही पूरे हुए। साथ ही फ्लैट बायर्स के मुद्दे भी लंबित हैं। अब दोबारा से चुनाव प्रचार शुरू हो गया है। जीते हुए जनप्रतिनिधि वोट मांगने के लिए दोबारा से जनता के बीच पहुंच रहे हैं, लेकिन पूरी तैयारी के साथ। गांव, कस्बों व अन्य स्थानों पर वोट मांगने के लिए निकलने से पूर्व वहां पर स्वयं के द्वारा कराए विकास कार्यो की अपने प्रबंधकों से सूची तैयार करा रहे हैं। जिन-जिन स्थानों पर विकास कार्य कराए गए हैं वहां पर वोट मांगने के लिए सीना चौड़ा कर जा रहे हैं। जिन गांव व कस्बों में वादे के अनुरूप विकास कार्य नहीं कराए गए हैं वहां पर अभी प्रचार के लिए जाने से बच रहे हैं। डर सता रहा है प्रचार के दौरान कहीं जनता के विरोध व गुस्से का सामना न करना पड़ जाए।

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