ऐलोपैथिक के साथ आयुर्वेदिक काढ़ा बना रहा कोरोना संक्रमितों स्वस्थ्य

चंद्रशेखर वर्मा ग्रेटर नोएडा कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में कोरोना ग्रसि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 08:58 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 08:58 PM (IST)
ऐलोपैथिक के साथ आयुर्वेदिक काढ़ा बना रहा कोरोना संक्रमितों स्वस्थ्य
ऐलोपैथिक के साथ आयुर्वेदिक काढ़ा बना रहा कोरोना संक्रमितों स्वस्थ्य

चंद्रशेखर वर्मा, ग्रेटर नोएडा : कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में कोरोना ग्रसित मरीजों के उपचार में अब ऐलोपैथिक के साथ आयुर्वेदिक नुस्खों की भी सहायता ली जा रही है। मरीजों को कबासुरा और निलेवेंबु का कुडिनेर (काढ़ा) दिया जा रहा है। हालांकि, अभी यह ट्रायल पर है। सबसे अच्छा असर कबासूरा काढ़े का देखा जा रहा है। संक्रमित की जांच रिपोर्ट दस दिन के भीतर नेगेटिव आ रही है। काढ़े की यह पद्धति दक्षिण भारत में प्रचलित सिद्धा कहलाती है। यह पहल आयुष मंत्रालय के सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन सिद्धा (सीसीआरएस) के सहयोग से किया जा रहा है।

जिम्स के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि चेन्नई में सीसीआरएस का मुख्यालय है। यहां आयुर्वेदिक दवाई कबासुरा और निलेवेंबु पर पिछले काफी समय से शोध किया जा रहा था। कोरोना मरीजों को काढ़े के रूप में यह दिया जा रहा था। जिसका काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। सीसीआरएस की एक शाखा दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में भी है। जिम्स ने दिल्ली की शाखा के साथ काढ़े के लिए करार किया। हालांकि, जिम्स में कोरोना मरीजों का ऐलोपैथिक दवाइयों से उपचार किया जा रहा है। संक्रमितों को जल्द राहत पहुंचाने के लिए काढ़े का उपयोग शुरू किया गया है।

उन्होंने बताया कि संस्थान में काढ़े का ट्रायल शुरू हुए करीब दो सप्ताह हो चुके हैं। इसके लिए मरीजों के तीन समूह बनाए गए हैं। हर समूह में 30-30 लोग रखे गए हैं। एक समूह को कबासुरा और दूसरे को निलेवेंबु काढ़ा दिया जा रहा है। इसके साथ ही एलोपैथिक दवाएं भी दी जा रही है। वहीं, तीसरे समूह को केवल एलोपैथिक दवाएं ही दी जा रही है। दोनों ही काढ़ों का सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। सबसे अधिक असर कबासुरा काढ़े वाले समूह के मरीजों में देखने को मिल रहा है। मरीजों की रिवर्स ट्रांसक्रिपशन पोलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) रिपोर्ट दस दिन से पहले नेगेटिव आ रही है।

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कबासुरा में प्रयुक्त जड़ी-बूटी

अदरक, पीपली, लौंग, आजवाइन, अकरकरा, हरीतकी, अडूसा, गिलोय, भारंगी, कालमेघ, करेता, मौथा, केमूक, पंजीरी, बारहंटा, जंगली भ्राटा।

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निलेवेंबु में प्रयुक्त जड़ी-बूटी

कालमेघ, खस, चंदन, अदरक, काली मिर्च, मौथा, दमन पप्पड़, वलक, चचिडा।

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