सचिन दत्ता पचास लाख में बन गया महामंडलेश्वर सच्चिदानंद!

फोटो - महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया में शामिल एक संत ने किया खुलासा - कुंभ इलाहाबाद में मुंड

By Edited By: Publish:Thu, 06 Aug 2015 01:05 AM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2015 01:05 AM (IST)
सचिन दत्ता पचास लाख में बन गया महामंडलेश्वर सच्चिदानंद!

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- महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया में शामिल एक संत ने किया खुलासा

- कुंभ इलाहाबाद में मुंडन के बाद सचिन को बनाया गया सन्यासी

ललित विजय, नोएडा : बियर बार संचालक और बिल्डर सचिन दत्ता पचास लाख रुपये में महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरी बन गया। यह खुलासा नाम न छापने की शर्त पर इलाहाबाद के एक संत ने किया है। जिनका महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि महामंडलेश्वर बनाने का पूरा खेल पैसे से होता है। इसके लिए 20 से 50 लाख रुपये लिए जाते हैं। दैनिक जागरण के पास इसकी रिकार्डिंग भी मौजूद है। जिसमें महामंडलेश्वर बनने की पूरी प्रक्रिया को उन्होंने विस्तार से बताया है। उन्होंने बताया कि सचिन दत्ता को कुंभ में मुंडन के बाद सन्यासी बनाया गया। फिर पट्टाभिषेक किया गया। ध्यान रहे कि मंगलवार रात एक न्यूज चैनल से बातचीत में जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अर्जुन पूरी ने भी सचिन पर पैसे देकर महामंडलेश्वर बनने का आरोप लगाया था।

2-5 लाख रुपये प्रतिवर्ष देते हैं महामंडलेश्वर

संत ने बताया कि महामंडलेश्वर बनने के बाद भी अध्यक्ष को प्रतिवर्ष पैसे देने होते हैं। हैसियत के हिसाब से महामंडलेश्वर 2-5 लाख रुपये प्रतिवर्ष देते हैं। यह पैसे अखाड़े के अध्यक्ष को दिए जाते हैं।

76 वां महामंडलेश्वर बना सचिन

निरंजनी अखाड़े में पहले से 75 महामंडलेश्वर हैं। सचिन दत्ता को 76 वां महामंडलेश्वर बनाया गया है। एक अखाड़े में कितने महामंडलेश्वर होंगे, इसकी कोई नियमावली नहीं है। यह अखाड़े के अध्यक्ष की इच्छा पर निर्भर करता है।

ब्लैक मनी को व्हाइट करना और दान लेने मुख्य मकसद

संत ने महामंडलेश्वर बनने के फायदे को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि महामंडलेश्वर बनने के बाद व्यक्ति पंजीकृत साधु हो जाता है। वह भारत और नेपाल में धार्मिक सभाएं और आयोजन कर सकता है। इसमें लाखों रुपये चढ़ावे के तौर पर मिलते हैं। यह सारा पैसा दान का होता है, इस कारण कोई इनकम टैक्स नहीं लगता। साथ ही दान की आड़ में ब्लैक मनी को भी व्हाइट किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि एक महामंडलेश्वर प्रति वर्ष 1-5 करोड़ रुपये की कमाई कर लेता है। उनका कहना है कि संभवत: सचिन ने ब्लैक मनी को व्हाइट करने और पैसे बनाने की चाह में महामंडलेश्वर की उपाधी प्राप्त की। हालांकि इन सारे आरोप पर बात करने के लिए सचिन दत्ता को फोन किया गया। उनका फोन लगातार बंद गया। घर पर भी कोई नहीं मिला।

नवचंदी अखाड़े में मौजूद है सचिन

संत ने बताया कि विवाद खड़ा होने पर सचिन दत्ता पहले हरिद्वार गया। वहां से देहरादून पहुंचा। फिर देहरादून से आठ किलोमीटर दूर स्थित नवचंदी अखाड़े में चला गया है। वहीं पर रह रहा है। यह अखाड़ा भी निरंजनी अखाड़े के एक महामंडलेश्वर की है।

बीयर बार संचालक से महामंडलेश्वर बनाने पर विवाद

ध्यान रहे कि गुरु पूर्णिमा पर इलाहाबाद में बीयर बार संचालक रहे सचिन दत्ता को सच्चिदानंद गिरी नाम से महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक हुआ था। उसके कैलाशानंद के सानिध्य में संन्यास लेने की बात भी कही गई थी। मीडिया में यह मामला आने के बाद महामंडलेश्वर बनने पर विवाद खड़ा हो गया।

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ललित

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