घरेलू बाजार में हस्तशिल्प की असीम संभावनाएं

By Edited By: Publish:Thu, 17 Apr 2014 07:44 PM (IST) Updated:Thu, 17 Apr 2014 07:44 PM (IST)
घरेलू बाजार में हस्तशिल्प की असीम संभावनाएं

(मुरादबाद संस्करण के लिए भी)

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सबहेड : सुविधा मिले तो देशी बाजार में भी उतरने को तैयार हैं निर्यातक

- भारतीय भी अपने बाजार से कर सकेंगे हस्तशिल्प की खरीदारी

संवाददाता, ग्रेटर नोएडा :भारतीय हस्तशिल्प की विदेशों में खूब मांग है। अमेरिका और यूरोप में इसके परंपरागत बाजार हैं, लेकिन घरेलू बाजार में अभी दस्तक नहीं दी है। व्यापारियों को भारतीय हस्तशिल्प के लिए विदेश में जाकर खरीदारी करनी पड़ती है या फिर निर्यातकों से निजी संबंधों के कारण वे उत्पाद खरीद पाते हैं। आम लोगों की पहुंच से भारतीय हस्तशिल्प अभी दूर है। सब कुछ ठीक ठाक रहा तो अक्टूबर में भारतीयों को भी घरेलू बाजार में हस्तशिल्प उत्पाद खरीदने का मौका मिलेगा। इसके लिए निर्यात संवर्धन परिषद निर्यातकों के साथ आम राय बनाने का प्रयास कर रही है। हालांकि, निर्यातक अभी इसके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि केंद्र और प्रदेश सरकार उन्हें सहूलियत दें, इसके बाद घरेलू बाजार में जोरदार ढंग से प्रवेश किया जाएगा। तभी चीन से भी मुकाबला किया जा सकेगा।

भारतीय बाजार में हस्तशिल्प की असीम संभावनाएं हैं। विदेशी बाजार में आई गिरावट से भारतीय निर्यातक घरेलू बाजार पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, लेकिन यहां रिटेल स्टोर्स की कमी भी इसमें आड़े आती हैं। अब तक चुनिंदा शहरों में ही स्टोर्स हैं। देश के हर कोने में रिटेल स्टोर्स बने तो भारतीय बाजार में हस्तशिल्प को बढ़ावा मिलेगा। कारीगरों की दक्षता न बढ़ना भी एक चिंता का कारण है। इसके लिए देश में उच्च तकनीकी वाले प्रशिक्षण केंद्रों का अभाव है। केंद्रों में आधुनिक तकनीकी की सुविधा उपलब्ध कराकर कारीगरों की दक्षता बढ़ाई जा सकती है। घरेलू बाजार में हस्तशिल्प के दस्तक न देने का एक बड़ा कारण अधिक टैक्स का होना है। ग्लास पर साढ़े बाहर फीसद, पीतल समेत अन्य धातुओं पर साढ़े पांच फीसद टैक्स को निर्यातक अधिक मानते हैं। निर्यातक चाहते हैं कि सरकार को टैक्सों में कमी करनी चाहिए। इससे हस्तशिल्प के बाजार में जबरदस्त उछाल आएगा। इसका लाभ सभी भारतीयों को मिलेगा।

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अधिक टैक्स के चलते कारोबार प्रभावित होता है। देश में हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इनमें कमी करनी चाहिए। अक्टूबर में देशी बाजार में उतरने की योजना तैयार की जा रही है।

अब्दुल अजीम

अध्यक्ष, मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर एसोसिएशन

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भारतीय बाजार में आने कोई दिक्कत नहीं है। नए डिजाइन बनाकर चीन से भी मुकाबला किया जा सकता है। इस बारे में गंभीरता से विचार चल रहा है। सरकार को भी इसके लिए आगे आना होगा। तभी देशवासियों को हस्तशिल्प के बेहतरीन उत्पाद मिल सकेंगे।

-शौकत काजी, निर्यातक मुरादाबाद व होम एक्सपो के उपाध्यक्ष

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देश में हस्तशिल्प को प्रमोट किया जाना चाहिए। चीन से मुकाबला करना है तो निर्यातकों सुविधाएं देने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे। घरेलू बाजार में उतरने की योजना शीघ्र परवान चढ़ेगी।

-फराह फारूख, निर्यातक, मुरादाबाद

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