घूसखोरी प्रकरण में जांच शुरू, बयान होंगे रिकार्ड

एसडीएम सदर दीपक कुमार पर लगे घूसखोरी के आरोप में जांच अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता को लिखित शिकायत के साथ कार्यालय में प्रस्तुत होने को कहा गया है। शिकायतकर्ता ने एसडीएम सदर के पक्ष में एक शपथ पत्र दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 11:17 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 11:17 PM (IST)
घूसखोरी प्रकरण में जांच शुरू, बयान होंगे रिकार्ड
घूसखोरी प्रकरण में जांच शुरू, बयान होंगे रिकार्ड

मुजफ्फरनगर, जागरण टीम। एसडीएम सदर दीपक कुमार पर लगे घूसखोरी के आरोप में जांच अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट ने जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता को लिखित शिकायत के साथ कार्यालय में प्रस्तुत होने को कहा गया है। शिकायतकर्ता ने एसडीएम सदर के पक्ष में एक शपथ पत्र दिया है। एसडीएम के पक्ष में उतरे शिकायतकर्ता समेत प्रकरण से जुड़ी अन्य कई आडियो गुरुवार को सामने आई।

रोहाना टोल के समीप कृषि भूखंड की रजिस्ट्री के बाद कब्जा लेने के मामले में एसडीएम सदर दीपक कुमार पर एक लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। इस मामले की शिकायत कमिश्नर एवी राजमौलि से की गई है। कमिश्नर के निर्देश पर डीएम ने मामले की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को दी है। इस प्रकरण से जुड़ी कई आडियो क्लिप भी अधिकारियों के पास है। एसडीएम सदर कार्यालय के एक कर्मचारी का नाम भी ओडिया क्लिप में लिया जा रहा है। 50 हजार रुपये वापस भी हुए हैं।

सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। कुछ आडियो क्लिप प्राप्त हुई हैं, जिनके आधार पर कई बिदु प्रकाश में आए हैं। शिकायतकर्ता से फोन पर वार्ता हुई है, उन्हें लिखित में शिकायत देने को कहा गया है। उनके बयान भी रिकार्ड किए जाएंगे। एक शपथ पत्र भी प्राप्त हुआ हैं, जिसमें शिकायतकर्ता एसडीएम पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया गया है।

एसडीएम दीपक कुमार का कहना है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप झूठे और बुनियाद हैं। इससे उनका कुछ लेना-देना नहीं है। इस बारे में स्वयं शिकायतकर्ता ने कार्यालय में एक शपथपत्र दिया है। मामला उनके कार्यालय के एक कर्मचारी के उधार लिए गए रुपये को लेकर है।

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एक ओर आडियो क्लिप

इस मामले से एक और आडियो क्लिप आलाधिकारियों के पास पहुंची है, जिसमें शिकातकर्ता साफ कह रहा है कि उनसे एसडीएम सदर ने टोल प्लाजा के समीप कृषि भूमि पर कब्जा दिलाने की एवज में एक लाख रुपये लिए हैं। कब्जा नहीं मिलने पर पैसे वापस हुए हैं।

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