अपर शिक्षा निदेशक के समक्ष रखे सुबूत, जेडी ने दिए निर्देश

चौधरी छोटूराम इंटर कालेज के प्रधानाचार्य की ओर से 35 एकड़ जमीन पर अधिकार जताने के प्रकरण ने तूल पकड़ लिया है। प्रधानाचार्य की ओर से अपर शिक्षा निदेशक को सुबूत दिए गए हैं। प्रधानाचार्य का कहना है कि वर्ष 1984 से पूर्व यह भूमि इंटर कालेज के नाम थी और इसी के आधार पर 12वीं कृषि विज्ञान की मान्यता मिली थी। आरोप है कि दस्तावेज में हेराफेरी कर करोड़ों की संपत्ति को डिग्री कालेज के नाम स्थानांतरित किया गया है। इस मामले में जेडी ने डीआइओएस को भी निर्देश दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 11:16 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 11:16 PM (IST)
अपर शिक्षा निदेशक के समक्ष रखे सुबूत, जेडी ने दिए निर्देश
अपर शिक्षा निदेशक के समक्ष रखे सुबूत, जेडी ने दिए निर्देश

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। चौधरी छोटूराम इंटर कालेज के प्रधानाचार्य की ओर से 35 एकड़ जमीन पर अधिकार जताने के प्रकरण ने तूल पकड़ लिया है। प्रधानाचार्य की ओर से अपर शिक्षा निदेशक को सुबूत दिए गए हैं। प्रधानाचार्य का कहना है कि वर्ष 1984 से पूर्व यह भूमि इंटर कालेज के नाम थी और इसी के आधार पर 12वीं कृषि विज्ञान की मान्यता मिली थी। आरोप है कि दस्तावेज में हेराफेरी कर करोड़ों की संपत्ति को डिग्री कालेज के नाम स्थानांतरित किया गया है। इस मामले में जेडी ने डीआइओएस को भी निर्देश दिए हैं।

प्रधानाचार्य नरेश प्रताप सिंह की ओर से कालेज के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र कुमार और लिपिक संजीव कुमार प्रयागराज पहुंचे। अपर शिक्षा निदेशक को अहम दस्तावेज उपलब्ध कराए। प्रधानाचार्य नरेंश प्रताप सिंह ने बताया विद्यालय को वर्ष 1954 में कृषि विज्ञान समेत इंटरमीडिएट तक की मान्यता मिली थी। विद्यालय के अभिलेखों में कृषि विषय की मान्यता के समय 34 एकड़ कृषि और तीन एकड़ अन्य भूमि विद्यालय के पास दर्ज है। यह संपत्ति राजस्व अभिलेखों में भी विद्यालय के नाम है। आरोप लगाया कि वर्ष 1984 में विद्यालय की तत्कालीन कथित प्रबंध समिति ने जालसाजी कर विद्यालय की कृषि भूमि और अन्य संपत्ति को अवैधानिक रूप से चौधरी छोटूराम डिग्री कालेज के नाम स्थानांतित कर दिया। कृषि विषय की मान्यता होते हुए भी वर्तमान में चौधरी छोटूराम इंटर कालेज के पास एक गज कृषि भूमि नहीं है। स्थानांतरित की गई संपत्ति से प्रतिवर्ष करीब 50 लाख रुपये की आय होती है। उक्त संपत्ति की वर्तमान में कीमत करीब एक हजार करोड़ रुपये हैं। प्रधानाचार्य का कहना है कि विद्यालय में किसी प्रकार के आय के स्त्रोत नहीं होने के कारण भवन जर्जर अवस्था में आ चुका है। कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। इस बारे में कई बार विभाग को भी अवगत कराया गया है। उक्त भूमि को छात्र व संस्थाहित में वापस विद्यालय को दिलाई जाए। वहीं यह प्रकरण संयुक्त शिक्षा निदेशक सहारनपुर मंडल के यहां भी चल रहा है। संयुक्त शिक्षा निदेशक आरपी शर्मा ने जिला विद्यालय निरीक्षक गजेंद्र कुमार सिंह और विद्यालय प्रबंध समिति को निर्देश दिए हैं कि राजस्व अभिलेख तत्काल जुटाए जाए और आख्या दी जाए। आख्या में स्पष्ट हो कि वर्ष 1984 से पूर्व राजस्व अभिलेखों में जमीन किसके नाम थी।

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