इमाम हसन, हुसैन जन्नत के जवानों के सरदार : मेहंदी

मुजफ्फरनगर : मौलाना हुसैन मेहंदी ने फरमाया कि नवासा-ए-रसूल इमाम हसन और हुसैन जन्नत के जवानों के सरदा

By Edited By: Publish:Tue, 28 Oct 2014 07:35 PM (IST) Updated:Tue, 28 Oct 2014 07:35 PM (IST)
इमाम हसन, हुसैन जन्नत के जवानों के सरदार : मेहंदी

मुजफ्फरनगर : मौलाना हुसैन मेहंदी ने फरमाया कि नवासा-ए-रसूल इमाम हसन और हुसैन जन्नत के जवानों के सरदार हैं। उन्हें यह रुतबा ऐसे ही नहीं मिला। करबला के मैदान में दी गई बेशुमार कुर्बानियों के एवज में अल्लाह ने उन्हें जन्नत में खास जगह दी।

मोहर्रम की तीन तारीख को इमामबारगाह अबूपुरा में मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना हुसैन मेहंदी ने कहा कि नवासा-ए-रसूल ने मैदान-ए-करबला में अपनी व अपने जांनिसारों की कुर्बानी पेश कर अपने नाना के दीन को फिर से जिंदा कर दिया। उन्होंने फरमाया कि सन 61 हिजरी में इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों को यजीदी फौज ने तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया।

इससे पूर्व मजलिस की शुरुआत जैगम जैदी एड. ने मर्सियाख्वानी से की। अंजुमन दुआ-ए-जहरा के प्रवक्ता इंतजार हुसैन जैदी ने बताया कि विभिन्न इमामबारगाहों में मौलाना जफर सहारनपुरी, मौलाना कुमैल असगर गाजीपुरी खिताब फरमा रहे हैं, जबकि मर्सियाख्वानी की फरायज मौ. मशहदी, अख्तर हुसैन, नुसरत हुसैन, डा. इकबाल हुसैन आदि पूरी कर रहे हैं। इंतजार हुसैन जैदी ने बताया कि नगर में करीब 50 स्थानों पर शिया महिलाओं की मजलिस आयोजित हो रही है। महिलाएं काले लिबास पहनकर मजलिसों में शिरकत कर रही हैं और अपने इमाम को पुरसा दे रही हैं।

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