कुख्यातों से कहां डरती हैं खाकी की ये शेरनियां

खुद पर भरोसा करो अपना सपना पूरा करने के लिए जी-जान लड़ा दो और फिर देखो दुनिया में आगे बढ़ने में तुम्हे कोई नहीं रोक सकता ।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Mar 2019 02:06 PM (IST) Updated:Sat, 09 Mar 2019 02:06 PM (IST)
कुख्यातों से कहां डरती हैं खाकी की ये शेरनियां
कुख्यातों से कहां डरती हैं खाकी की ये शेरनियां

मुरादाबाद । खुद पर भरोसा करो, अपना सपना पूरा करने के लिए जी-जान लड़ा दो और फिर देखो दुनिया में आगे बढ़ने से तुम्हें कोई रोक नहीं सकता। पुलिस महकमे की ये 15 बेटियां अपने इन शब्दों का जीता जागता रूप हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पुलिस लाइन में उप महानिरीक्षक जे रविन्दर गौड ने उन महिला पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया है, जिनके अदम्य साहस और अडिग इरादों के दम पर विभाग गर्व करता है। वे दूसरी महिला पुलिसकर्मियों के लिए मिसाल हैं और समाज को नई दिशा दिखा रही हैं...

हर थाना स्तर पर एक चौकी पर हो महिला प्रभारी

-अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जनपद की सभी महिला पुलिसकर्मियों को पुलिस लाइन में एकत्र किया गया। कप्तान जे रविन्दर गौड ने बेहतर पुलिसिंग के लिए सभी महिला पुलिसकर्मियों से सुझाव भी मांगे। महिला पुलिस कर्मियों ने दावा किया कि हम पुरुषों से कम नहीं हैं। चाहती हैं कि प्रत्येक थाना क्षेत्र में एक चौकी की कमान महिला दारोगा को दी जाए, ताकि वह शुरू से ही अच्छी पुलिसिंग कर सके। महिला पुलिसकर्मियों ने कहा कि उन्हें कदापि बेचारी समझकर ड्यूटी से पीछे न रखा जाए। बल्कि प्रत्येक ड्यूटी में शामिल किया जाए। इतना ही नहीं महिला पुलिसकर्मियों के आवास स्तर पर ध्यान देने की बात भी कही है। ताकि पुलिस लाइन में आवास मिले तो वह अपने बच्चों को सेफ मान कर ड्यूटी कर सकें।

इनका हुआ सम्मान

एसआइ चंद्रवती, एसआइ राजवेंद्र कौर, कांस्टेबल अर्चना, नीतू जोहरी, संगीता, अनुराधा, रीना, सोनू राठी, मीनाक्षी रावत, संजीता देवी, कमला देवी, फालोवर कुसुमवती, गीता आर्या को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कांस्टेबल पूर्णिमा और अंजू को पांच-पांच सौ रुपये नकद पुरस्कार दिया गया।

सड़क पर खुद को असुरक्षित महसूस किया

63.1 फीसद : कभी कभार

28 फीसद : कभी नहीं

8.9 फीसद : हमेशा पुलिस का रवैया

कभी मुश्किल में फंसने पर पुलिस को फोन करने पर रवैया कैसा रहा

49.7 फीसद : तुरंत मदद मिली।

37.8 फीसद : टाल दिया।

12.6 फीसद : मदद नहीं मिली। महिलाओं के लिए अकेले घर से निकलना कितना सुरक्षित है।

57.42 फीसद : नहीं

42.58 फीसद : हां महिलाओं को अब भी सुनने को मिलती हैं यह बातें

कितना भी पढ़ लो बेलनी तो रोटियां ही है,लड़की हो आवाज नीचे रखकर बात करो,लड़की हो तुम नहीं कर पाओगी,सलीके के कपड़े पहनो रात को बाहर नहीं जा सकती,अपना काम करो बिजनेस में दिमाग मत लगाओ,पढ़ लिखकर कौन सा कलेक्टर बनना है, अपना काम सीखो,बॉडी शेमिंग को लेकर ताना।

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