सूखी रामगंगा के आंचल से दूर हुए जीव-जंतु

मुरादाबाद : जीवनदायिनी रामगंगा के सूखने से मानव ही नहीं जलीय जीवों का जीवन भी संकट में है। 20 साल पह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Jun 2018 02:11 AM (IST) Updated:Sat, 02 Jun 2018 02:11 AM (IST)
सूखी रामगंगा के आंचल से दूर हुए जीव-जंतु
सूखी रामगंगा के आंचल से दूर हुए जीव-जंतु

मुरादाबाद : जीवनदायिनी रामगंगा के सूखने से मानव ही नहीं जलीय जीवों का जीवन भी संकट में है। 20 साल पहले तक मई-जून में भी रामगंगा कल-कल करके बहती थी। अब इसके सूखने से खेती भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। रामगंगा में कम से कम मई-जून में 4.6 फीट पानी होना चाहिए लेकिन इस समय दो से तीन फीट पानी ही रह गया है। ये हालत कालागढ़ डैम से पानी न छोड़ने के कारण बने हैं। जीव-जंतु जहां रहते हैं वहीं उनका जीवन चक्र चलता रहता है। अब रामगंगा के आंचल से जीव-जंतु भी दूर जा चुके हैं। घुलनशील आक्सीजन और पानी कम होने से आहार नहीं मिलता है, इससे मछलियां, कछुए आदि विलुप्त हो गए हैं। दो साल पहले मई-जून में पानी बेहद कम होने के कारण रामगंगा में मछलियां मर गई थीं। एनजीटी ने भी इसकी रिपोर्ट मांगी थी।

पिछले दिनों केंद्र सरकार के अधिकृत एनजीओ डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम ने निरीक्षण किया था। विवेकानंद पुल से कटघर तक रामगंगा नदी के जल स्तर से लेकर पानी में प्रदूषण के नमूने लिए गए थे। रामगंगा में चट्टा पुल के पास दो से तीन फीट ही पानी मिला था। बारिश के दिनों में कम से कम सात फीट पानी होना चाहिए।

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घुलनशील आक्सीजन की मात्रा चार मिलीग्राम से कम

कटघर के पास आते-आते रामगंगा के पानी में घुलनशील आक्सीजन की मात्रा बहुत कम पाई गई। जीव जंतुओं के लिए घुलनशील आक्सीजन 4.6 मिलीग्राम चाहिए लेकिन सर्वे में इससे कम पाई गई। बारिश के दिनों में घुलनशील आक्सीजन पानी की मात्रा के साथ बढ़ जाती है।

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रामगंगा के सूखने से जलीय पौधे भी विलुप्त

रामगंगा के सूखने से जलीय पौधे भी विलुप्त हो गए हैं। छोटे पौधे जिन्हें माइक्रो जीव भी कहा जाता है, वे छोटी मछलियों का भोजन होते हैं। छोटी मछलियां जीवित होती हैं तो बड़ी मछलियों को भी भोजन मिलता रहता है। यह जीवन चक्र रामगंगा के पानी पर ही निर्भर है। --------------

वर्जन

मई-जून के महीने में दो से तीन फीट ही पानी रामगंगा में मुरादाबाद शहर के पास है। पानी का स्तर कम होने इसमें जीव जंतु भी विलुप्त हो रहे हैं। बारिश के बाद भी सर्वे करके पता लगाएंगे कि कितने फीट पानी बढ़ा।

नितिन कौशल, सह निदेशक, सतत जल प्रबंधन, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ

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जब तक कालागढ़ डैम से रामगंगा में पानी नहीं छोड़ा जाएगा तब तक गर्मी में पानी की समस्या बनी रहेगी। इस स्थिति से निपटने के लिए रामगंगा किनारे पौधरोपण जरूरी है। पौधे ही पानी रिचार्ज करने में सहायक होते हैं।

डॉ.जेके पाठक, रामगंगा मित्र एवं एसोसिएएट प्रोफेसर, ¨हदू कालेज

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