स्कूली बच्चों के दर्द ने अनवर को बनाया ट्रैफिक मैन, जानें पूरा मामला Moradabad news
बात करीब 15 वर्ष पुरानी है। मुरादाबाद के डॉ. एस कुमार चौराहे पर चाय की अपनी दुकान के पास खड़े एक किशोर ने जब दर्जनों स्कूली बच्चों को जाम से जूझते व भूख प्यास से तड़पते देखा तो उस
मुरादाबाद । बात करीब 15 वर्ष पुरानी है। मुरादाबाद के डॉ. एस कुमार चौराहे पर चाय की अपनी दुकान के पास खड़े एक किशोर ने जब दर्जनों स्कूली बच्चों को जाम से जूझते व भूख प्यास से तड़पते देखा, तो उसे अहसास हुआ कि स्कूली बच्चों की नजरें मदद का इंतजार कर रही हैं। फिर तो किशोर हाथ में डंडा लेकर चौराहे पर उतर गया। ट्रैफिक मैन के दायित्व का निर्वाह करते हुए वह चौराहे पर तब तक डंटा रहा, जब तक कि जाम खत्म नहीं हो गया। जाम फौरी तौर पर भले ही खत्म हो गया, लेकिन घटना ने किशोर के मन व मस्तिष्क पर इतना गहरा प्रभाव डाला कि वह अब तक ट्रैफिक पुलिस की भूमिका का निर्वाह करता चला आ रहा है। हम बात कर रहे हैं गलशहीद थाना क्षेत्र के रहने वाले मुहम्मद अनवर की। अनवर बताते हैं कि उनके पिता हाफीज इब्राहिम ने वर्षों पहले डॉ. एस कुमार चौराहे पर चाय की एक दुकान खोली। अनवर की दुकान पुराने मुरादाबाद में है। वहां के आसपास की सड़कें तंग व सकरी हैं। यही वजह है कि चौराहे पर आए दिन जाम की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। ई रिक्शा व आटो के अलावा दो पहिया वाहन चालक भी जाम में फंसते हैं। इतना ही नहीं छोटे स्कूली वाहन भी जाम का शिकार बनते हैं। जब भी चौराहे पर जाम की स्थिति उत्पन्न होती है, तब अनवर हाथ में डंडा लेकर चौराहे पर खड़े हो जाते हैं। ट्रैफिक पुलिस की भांति वह चौराहे से जाम छुड़ाने की तब तक कोशिश करते रहते हैं, जब तक कि आवागमन सुगम न हो। हालांकि ट्रैफिक पुलिस की अपनी भूमिका के कारण अनवर को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। संतोष इस बात का होता है कि राहगीर समय से और सकुशल अपने गंतव्य तक पहुंचे। अनवर बताते हैं कि स्कूली बच्चों के कारण उन्होंने बगैर किसी लोभ व लालच के यह कार्य शुरू किया। अर्सा बीत गया। दिल को सुकून व मन को तसल्ली मिलती है।
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