बरेलवी कांफ्रेसः आतंकवाद वहाबी और देवबंदी मसलक की देन: उलमा

सुन्नी बरेलवी कांफ्रेंस में उलमाओं ने फरमाया कि आतंकवाद से सुन्नी मुसलमानों का कोई तआल्लुक ही नहीं है, ये वहाबी व देवबंदी मसलक की देन है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Tue, 26 Jul 2016 07:43 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jul 2016 07:55 PM (IST)
बरेलवी कांफ्रेसः आतंकवाद वहाबी और देवबंदी मसलक की देन: उलमा

मुरादाबाद (जेएनएन)। सुन्नी बरेलवी कांफ्रेंस में मुसलमानों पर हो रही ज्यादती, पैगम्बर-ए-इस्लाम के खिलाफ की जा रही टिप्पणी व आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को बदनाम करने के आरोप लगाए गए। उलमाओं ने फरमाया कि आतंकवाद से सुन्नी मुसलमानों का कोई तआल्लुक ही नहीं है, ये तो वहाबी व देवबंदी मसलक की देन है। उलेमाओं ने कश्मीर मुद्दे को देश का आंतरिक मामला बताया, साथ ही पाकिस्तान व चीन को हिदायत दी कि इस मामले में दखलअंदाजी न करें। कश्मीर में मुसलमानों पर हो रहे कथित जुल्मों को रोकने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई।

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आज ईदगाह मैदान में दरगाह आला हजरत के सरबराह हजरत अल्लामा सुब्हान रजा खां उर्फ सुब्हानी मियां की सरपरस्ती व सज्जादानशीं अहसन मियां की अध्यक्षता में कांफ्रेंस हुई। सुब्हानी मियां ने कहा कि तरह तरह के इल्जाम लगाकर मुसलमानों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। पूरी दुनिया के इस रास्ते पर चलने से विश्व शांति को खतरा पैदा हो गया है। आतंकी हमलों से न मस्जिदें और खानकाहें सुरक्षित हैं और न ही मंदिर। आतंकवाद का ये तांडव पूरी दुनिया को अपने कब्जे में ले चुका है। आला हजरत ने वर्षों पहले ही यहूदी व वहाबी आतंकवाद की ओर इशारा कर दुनियाभर में अपना पैगाम पहुंचा दिया था।

कई अन्य उलमाओं ने कहा कि पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद स., ख्वाजा गरीब नवाज व आला हजरत को मानने वाले आतंकवादी नहीं हो सकते। वक्त की आवाज है कि समाज में नफरत की आग घोलने व आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ सुन्नी मुसलमान एकजुट होकर आवाज बुलंद करें। कांफ्रेंस में पैगम्बर-ए-इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी करने वाले शख्स को फांसी की सजा देने का कानून बनाने की जरूरत पर बल दिया गया। तलाक जैसे मसलों पर समाज में जागरूकता लाने की बात कही गई।

कुरीतियों को दूर करने, बच्चों को तालीम दिलाने व दहेज प्रथा पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। उलमाओं ने कांफ्रेंस को वक्त की जरूरत करार देते हुए दुनियाभर में अमन- शांति व भाईचारे का पैगाम पहुंचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने का आह्वान किया।

कांफ्रेंस का आगाज कारी रिजवान ने कुरआन की तिलावत से किया। सलाम के बाद जुहर की नमाज व मुल्क-ओ-मिल्लत की कामयाबी, खुशहाली व तरक्की की दुआ की गई। मुफ्ती मुहम्मद अय्यूब खां नईमी, मुफ्ती मुईनुद्दीन, नजीब मियां- मारहरा शरीफ, सैयद अमन मियां, सैयद सुहेल मियां, सैयद गुलजार मियां, सैयद सुल्तान मियां- अजमेर, सैयद फखरुद्दीन अशरफ- किछौछा, हस्सान मियां व अनवर मियां- बरेली, राशिद मियां- भैंसोड़ी शरीफ के अलावा दिल्ली, देवा शरीफ, कलियर शरीफ, उड़ीसा, जबलपुर के सज्जादगान ने शिरकत की।

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