मंदी की मार : यूपी में मैंथा उद्योग पर भारी पड़ रहा मंडी शुल्क Rampur News

उत्तर प्रदेश में मैंथा उद्योग पर मंडी शुल्क भारी पड़ रहा है। यह शुल्क केवल अपने ही प्रदेश में ही लगा है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 29 Aug 2019 09:47 AM (IST) Updated:Thu, 29 Aug 2019 10:30 AM (IST)
मंदी की मार : यूपी में मैंथा उद्योग पर भारी पड़ रहा मंडी शुल्क Rampur News
मंदी की मार : यूपी में मैंथा उद्योग पर भारी पड़ रहा मंडी शुल्क Rampur News

मुस्लेमीन, रामपुर : उत्तर प्रदेश में मैंथा उद्योग पर मंडी शुल्क भारी पड़ रहा है। यह शुल्क केवल अपने ही प्रदेश में ही लगा है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड, बिहार और मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क नहीं है। इस कारण इन प्रदेशों में मैंथा उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है, जबकि यूपी में कम होता जा रहा है।

उत्तर प्रदेश में मैंथा का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। प्रदेश के रामपुर, सम्भल, चन्दौसी, अमरोहा, मुरादाबाद, बाराबंकी, बस्ती, शाहजहांपुर, बरेली, पीलीभीत, बहराइच में उत्पादन होता है। रामपुर में तो लाखों किसान और मजदूर इस उद्योग से जुड़े हैं। यहां एक लाख से ज्यादा किसान अपने खेतों में मैंथा पैदा करते हैं और फिर खेत में ही तेल निकालते हैं। तेल निकालने की टंकी भी गांव-गांव लगी हैं, जिनकी संख्या एक हजार से ज्यादा है।

यूपी मैंथा एक्सपोट््र्स एसोसियेशन के अध्यक्ष विष्णु कपूर बताते हैं कि यूपी में विश्व का 90 फीसदी मैंथा उत्पादन होता है। देश से हर साल छह हजार करोड़ का मैंथा निर्यात होता है और इसमें 2500 करोड़ अकेले उत्तर प्रदेश से होता है। प्रदेश में भी रामपुर मैंथा उद्योग में नंबर वन है। यहां से 1500 करोड़ का मैंथा निर्यात होता रहा है। पहले यहां मैंथा उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा था लेकिन, सरकारी टैक्स के बोझ से इस पर असर पड़ा है। इस समय इस उद्योग पर मंडी शुल्क भारी पड़ रहा है। 

 

जीएसटी लगाने के बाद भी नहीं हटा टैक्स

विष्णु कपूर बताते हैं कि सरकार ने जब जीएसटी लगाया था तब कहा था कि अब केवल एक टैक्स ही देना होगा लेकिन, यूपी में जीएसटी के साथ ही मंडी शुल्क भी देना पड़ रहा है। पहले केवल पांच फीसद वैट था, जिसे खत्म कर 12 फीसद जीएसटी लगा दिया है। इसके अलावा डेढ़ फीसद मंडी शुल्क लगता है, जबकि उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश व बिहार में मंडी शुल्क नहीं है। इस कारण इन प्रदेशों में मैंथा उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है। रामपुर में मैंथा तेल से मैंथोल तैयार करने के 14 प्लांट लगे हैं। पांच प्लांट ऐसे हैं, जो निर्यात कर रहे हैं। सरकार को मंडी शुल्क खत्म कर मैंथा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। 

सिंथेटिक मैंथा का भी असर

निर्यातक रमेश अग्रवाल बताते हैं कि विश्व बाजार में सिंथेटिक मैंथा भी आ गया है, जो नेच्युरल मैंथा से सस्ता है। इस कारण नेच्युरल मैंथे की डिमांड घटी है। इसका भी असर कारोबार पर पड़ रहा है। प्रदेश में मैंथा उद्योग की हालत पहले ही खराब है। टैक्स की दोहरी मार है। ऐसे में मंदी से कारोबार बंद होने के कगार पर आ गया है। 


मंडी शुल्क हटाए सरकार

मैंथा उद्यमी कपिल गुप्ता का कहना है कि प्रदेश सरकार को मैंथा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मंडी शुल्क हटा लेना चाहिए। जीएसटी लागू होने से पहले इसे हटाने की बात चली थी। इसके हटने से मैंथा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही निर्यात भी बढ़ेगा। 

कपिल गुप्ता, मैंथा उद्यमी  

सौतेला व्यवहार किया जा रहा है

मैंथा निर्यातक एसके गुप्ता ने कहा कि मैंथा उद्योग के साथ प्रदेश में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। दूसरे प्रदेशों में मैंथा पर मंडी शुल्क नहीं लिया जाता है लेकिन, यहां कारोबारियों को अलग से मंडी शुल्क भी देना पड़ता है। मंदी के समय सरकार को कम से कम मंडी शुल्क हटा लेना चाहिए।

किसानों को मिले पूरा दाम

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष हसीब अहमद कहते हैं कि जिले में एक लाख से ज्यादा किसान मैंथे की खेती करते हैं। खेती में काफी लागत आती है लेकिन, उतना दाम नहीं मिल पाता है। ऐसे में मंदी की मार किसान नहीं झेल सकेगा। सरकार को मंदी दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

मुख्यमंत्री से करेंगे बात

प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण एवं सिंचाई राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख कहते हैं कि मैंथा से मंडी शुल्क हटाने के लिए वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे। उन्हें अवगत कराएंगे कि यह शुल्क केवल उत्तर प्रदेश में है, अन्य राज्यों में मैंथा पर मंडी शुल्क नहीं है।

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