14 करोड़ के घोटाले में ट्रेजरी के छह बाबुओं पर शिकंजा Moradabad News

आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की तीन मुकदमों की जांच। शासन के वित्त विभाग की ओर से जारी किया गया बाबुओं को नोटिस।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Tue, 11 Feb 2020 09:16 AM (IST) Updated:Tue, 11 Feb 2020 09:16 AM (IST)
14 करोड़ के घोटाले में ट्रेजरी के छह बाबुओं पर शिकंजा  Moradabad News
14 करोड़ के घोटाले में ट्रेजरी के छह बाबुओं पर शिकंजा Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। भूलेख विभाग के 14 करोड़ रुपये के घोटाले में कलेक्ट्रेट के बाद कोषागार कार्यालय के बाबू जांच के शिकंजे में घिर गए हैं। शासन के वित्त विभाग ने कोषागार के छह बाबुओं को नोटिस जारी कर पैसा रिलीव करने के संबंध में जवाब मांगा है। कोषागार के जिन बाबुओं को नोटिस जारी किया गया है, उनमें एक बाबू सेवानिवृत्त हो चुके हैं। शासन से नोटिस जारी होने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया है। मुख्य कोषाधिकारी समीर कुमार सिंह ने बताया कि कार्यलय में कार्यरत पांच बाबुओं के साथ ही सेवानिवृत्त एक बाबू को जवाब देने के लिए कहा गया है। बाबुओं को जवाब अगर संतोषजनक नहीं होता है,तो शासन स्तर पर कार्रवाई तय की जाएगी। 

संदेह होने पर शुरू हुई थी मामले की जांच 

कलेक्ट्रेट में हुआ यह सबसे बड़ा घोटाला मार्च 2018 में पकड़ा गया था। एडीएम प्रशासन लक्ष्मीशंकर सिंह को लेखपाल को जारी किए गए एरियर भुगतान के प्रपत्र में संदेह होने के बाद इस मामले की जांच शुरू हुई थी। गोपनीय जांच में पूरा मामला पकड़ में आने के बाद भूलेख विभाग के सेवानिवृत्त बाबू अनिल मेहरोत्रा के साथ ही पूर्व लेखपाल अरूण भटनागर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। लगभग एक साल तक चली जांच में पांच अलग-अलग मुकदमे सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराए गए, जिसमें घोटाले की धनराशि लगभग 14 करोड़ रुपये तक मानी गई। इस मामले 20 से अधिक लोगों को आरोपित बनाया गया। जिन लोगों को इस घोटाले में पकड़ा गया था, उन सभी के खातों में पैसा भेजने का काम सेवानिवृत्त बाबू और पूर्व लेखपाल ने किया था। इन आरोपितों में ज्यादा मुख्य आरोपितों के रिश्तेदार और करीबी थे। लगभग डेढ़ साल बाद एक बार फिर घोटाले का यह मामला सुर्खियों में है।  

तीन मुकदमों की जांच करेगी आर्थिक अपराध शाखा 

घोटाले की धनराशि 14 करोड़ होने के चलते तीन मुकदमों की जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया है। एडीएम प्रशासन लक्ष्मीशंकर सिंह ने बताया कि जांच ट्रांसफर किए जाने का अधिकार पुलिस प्रशासन का होता है। जब धनराशि एक करोड़ से अधिक हो जाती है, तो ऐसे मामलों की जांच स्वत: आर्थिक अपराध शाखा के पास स्थानांतरित कर दी जाती है।

कोषागार के पांच कार्यरत और एक सेवानिवृत्त बाबू को वित्त विभाग से नोटिस जारी किए गए हैं। भूलेख विभाग से जो भी प्रपत्र आते हैं, उनकी जांच के बाद धनराशि का स्थानांतरण पटल में तैनात रहे इन्हीं बाबुओं के द्वारा किया जाता था। नोटिस का जवाब बाबू अपने स्तर से शासन को भेजेंगे। 

- समीर कुमार सिंह,मुख्य कोषाधिकारी

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