भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुरादाबाद का क्या रहा योगदान, विशेषज्ञों ने टीएमयू की संगोष्ठी में बताया इतिहास

Gantantra Diwas 2022 टीएमयू में आजादी के अमृत महोत्सव पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुरादाबाद के योगदान पर संगोष्ठी हुई। देशभक्ति के नारों बहादुरी के किस्सों क्रांतिकारियों और अंग्रेजों के बीच टकराव देशभक्ति के जज्बे से आडी में मौजूद छात्र-छात्राओं में जोश जुनून और देशभक्ति का संचार हुआ।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 08:34 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 08:34 AM (IST)
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुरादाबाद का क्या रहा योगदान, विशेषज्ञों ने टीएमयू की संगोष्ठी में बताया इतिहास
Gantantra Diwas 2022 : क्रांतिकारियों के परिजनों और शिक्षाविदों ने इन राष्ट्रभक्तों का भावपूर्ण स्मरण किया।

मुरादाबाद, जेएनएन। Gantantra Diwas 2022 : टीएमयू में आजादी के अमृत महोत्सव पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुरादाबाद के योगदान पर संगोष्ठी हुई। 1857 के आंदोलन से लेकर 1947 तक की जंग-ए-आजादी की स्मृतियों का गवाह बना। देशभक्ति के नारों, तरानों, बहादुरी के किस्सों, क्रांतिकारियों और अंग्रेजों के बीच टकराव, देशभक्ति के जज्बे से आडी में मौजूद छात्र-छात्राओं में जोश, जुनून और देशभक्ति का संचार हुआ।

क्रांतिकारियों के परिजनों और शिक्षाविदों ने इन राष्ट्रभक्तों का भावपूर्ण स्मरण किया। कुलाधिपति सुरेश जैन के छोटे दादू-केशव सरन जैन के योगदान को भी याद किया गया। कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने कहा कि मेरे पूर्वजों का भी जंग-ए-आजादी से गहरा नाता रहा है। मुरादाबाद की धरा का आजादी में अविस्मरणीय बलिदान है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संग-संग कांग्रेस के बड़े नेताओं की मौजूदगी में 1920 में अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव मुरादाबाद में ही पारित हुआ था।

इससे पूर्व टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह बतौर अध्यक्ष, निदेशक छात्र कल्याण प्रो. एमपी सिंह बतौर प्रोग्राम कॉर्डिनेटर के संग-संग अतिथि वक्ताओं इशरत उल्ला खां, धवल दीक्षित, डा आईसी गौतम, डा मनोज रस्तौगी, देवेन्द्र सिंह सिसौदिया, विश्व बंधु विश्नोई ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम में मौजूद साहित्यकारों और स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों ने विचार रखे।

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