सरसों तेल की महंगाई ने बदल दी क‍िसानों की सोच, फसल चक्र में बदलाव, अब अपना रहे ये तरीका

जिले में पिछले साल 4000 हेक्टेयर सरसों का रकबा था लेकिन इस बार वह बढ़कर 18405 हेक्टेयर हो गया है। चार गुना से अधिक सरसों का रकबा बढ़ा है। इससे गेहूं के रकबा कम होने की संभावना जताई जा रही है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Fri, 24 Dec 2021 10:51 AM (IST) Updated:Fri, 24 Dec 2021 10:51 AM (IST)
सरसों तेल की महंगाई ने बदल दी क‍िसानों की सोच, फसल चक्र में बदलाव, अब अपना रहे ये तरीका
सरसों के महंगे तेल ने बदल दिया फसल चक्र

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। सरसों के तेल पर छाई महंगाई ने अमरोहा में फसल चक्र बदल दिया है। गेहूं की तरफ से किसानों का ध्यान हट गया है। अब उनका रुझान सरसों की तरफ बढ़ा है। कम लागत में अच्छा मुनाफा किसान सरसों के खेती में मान रहे हैं। नतीजतन, पिछले साल के मुकाबले इस बार चार गुना से अधिक सरसों बोई गई है। इससे गेहूं की पैदावार पर सीधा असर पड़ा है। राजकीय बीज भंडार केंद्रों पर गेहूं का बीज उपलब्ध है लेकिन, किसान उसको लेने नहीं आ रहे हैं। इस परिवर्तन से कृषि विभाग के अधिकारी भी बेचैन हैं।

जिले में पिछले साल 4000 हेक्टेयर सरसों का रकबा था लेकिन, इस बार वह बढ़कर 18,405 हेक्टेयर हो गया है। चार गुना से अधिक सरसों का रकबा बढ़ा है। इससे गेहूं के रकबा कम होने की संभावना जताई जा रही है। धान की फसल उठाने के बाद ज्यादातर किसानों ने खेतों में सरसों की फसल बो दी है। इसके तैयार होने में कम लागत, कम समय लगता है। भाव भी किसानों को अच्छा मिल रहा है। आठ से दस हजार रुपये क्विंटल तक सरसों बिक रही है और लागत एक हजार रुपये तक आती है। जिसका तेल 180 से 190 रुपये प्रति लीटर की दर से बाजार में मिल रहा है। इसके चलते ही किसान सरसों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। यहां बता दें कि विगत वर्ष 92 हजार हेक्टेयर गेहूं का रकबा था। इस बार उसमें 15 हजार हेक्टेयर कम होने की आशंका है। इस संबंध में अदलपुर गांव निवासी किसान अमित कुमार ने बताया कि तेल महंगा है। इसलिए अबकी बार दो बीघा सरसों बोई है। इतना महंगा तेल क्यों खरीदें। ज्यादा सरसों हुई तो बेच देंगे। अच्छा पैसा मिल रहा है। यही कहना है जलालपुर गांव निवासी किसान दिनेश कुमार का। बताते हैं कि सरसों में एक हजार की लागत एक बीघा जमीन में आती भी नहीं है। गेहूं में ढाई हजार तक खर्च पहुंच जाता है।

दूसरे राज्यों से गेहूं का कम उत्पादन : अमरोहा में गेहूं की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता करीब 38 क्विंटल है। यह पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों से काफी कम है। वहां पर 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्‍पादन किसान ले रहे हैं। इसकी मुख्य वजह जागरूकता है। दूसरे राज्यों के किसान तकनीक आधारित खेती कर रहे हैं जबकि, जनपद के किसान पुराने ढर्रे पर खेती कर रहे हैं। पारंपरिक खेती को छोड़ना नहीं चाहते हैं। प्रमाणित बीजों का कम प्रयोग व समय से बुवाई न करना भी इसका कारण है।

अनुदान पर किसानों को मिल रहा बीज : सरकार द्वारा राजकीय कृषि बीज भंडार केंद्रों पर प्रमाणित एवं आधारीय बीज उपलब्ध कराया गया है। इसमें एचडी-2967, एचडी-3086, पीबीडब्ल्यू-723, डीबीडब्ल्यू-173 शामिल हैं। यह उन्नतशील प्रजातियां हैं। यह बीज किसानों को 50 फीसद अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इन सभी प्रजातियों की औसत उत्पादकता 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।

तेल महंगा होने से सरसों भी महंगी हो गई है। किसानों ने बड़ी मात्रा में सरसों बोई है। इससे गेहूं का रकबा घटना लाजमी है। अभी गेहूं बुवाई का कार्य चल रहा है। किसान राजकीय बीज भंडार केंद्रों से उन्नतशील बीज अनुदान पर प्राप्त कर सकते हैं। सरसों के अधिक बोने से फसल चक्र प्रभावित हो गया है।

राजीव कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी

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