सांसद शफीकुर्रहमान बर्क बोले, मैंने कोई गलत बयान नहीं दिया, झूठे मुकदमों से डरकर खामोश नहीं रहूंगा

Controversial statement of MP Shafiqur Rahman Burke सम्भल सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के तालिबान को समर्थन करते हुए दिए गए विवादित बयान को लेकर उन पर मुकदमा दर्ज हो चुका है।इसके बाद सांसद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मैंने हमेशा सच और हक़ की बात कही है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 06:42 AM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 06:42 AM (IST)
सांसद शफीकुर्रहमान बर्क बोले, मैंने कोई गलत बयान नहीं दिया, झूठे मुकदमों से डरकर खामोश नहीं रहूंगा
मैंने कुछ गलत बयान नहीं दिया है। इसलिए झूठे मुकदमोंं से डर कर खामोश नहीं रहूंगा।

मुरादाबाद, जेएनएन।Controversial statement of MP Shafiqur Rahman Burke : सम्भल सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के तालिबान को समर्थन करते हुए दिए गए विवादित बयान को लेकर उन पर मुकदमा दर्ज हो चुका है।इसके बाद सांसद ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मैंने हमेशा सच और हक़ की बात कही है। चाहे वह सड़क हो विधानसभा हो या भारत की संसद।रही बात तालिबान की तो आप को बताता चलूं की भारत सरकार ने तालिबान को आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया है। मैंने कुछ गलत बयान नहीं दिया है। इसलिए झूठे मुकदमोंं से डर कर खामोश नहीं रहूंगा। हम क़ानूनी मदद लेंगे। तालिबान की जंग भारत से नहीं चल रही है।

बल्कि अमेरिका और अफ़ग़ानिस्तान सरकार से है और यह उनके देश का मामला है। इसमें अमेरिका को दखल नहीं देना चाहिए था। जहां हम अपने धर्म इस्लाम से मोहब्बत करते हैंं। वहींं हम अपने देश से भी मोहब्बत करते हैं। जब भारत पर कोई आंच आएगी तो देश के मुसलमान अपने भारत देश के साथ खड़े होंगे। आज़ादी की जंग में मुसलमानो ने देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देकर साबित भी किया है।सम्भल सांसद ने तालिबान के अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की घटना को भारत के स्वाधीनता आंदोलन और देश के स्वतंत्रता सेनानियों से जोड़ते हुए विवादित बयान दिया था।

उन्होंने अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे को सही ठहराते हुए इसकी तुलता भारत के स्वाधीनता आंदोलन से कर दी।उन्होंने कहा था कि जैसे भारत में बड़े से लेकर बच्चे तक आजादी के लिए लड़े वैसा ही अफगानिस्तान में हो रहा है।जब हमारा देश अंग्रेजों के कब्जे में था, तो पूरा देश आजादी के लिए लड़ रहा था। अब अफगानिस्तान पर अमेरिका ने कब्जा कर रखा है। वहां के लोग भी आजाद रहना चाहते हैं। तालिबान के सहयोग से अपने देश को आजाद कराना चाहते हैं। यह उनका निजी मामला है। इसमें हम क्या कहेंगे? वहां तालिबान मजबूत है। वह अपने मुल्क के लिए काम कर रहे हैं, तो हमें क्या लेना।

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