Moradabad Seat: पहले चरण का नामांकन पूरा, समझें सियासी समीकरण... रुचि वीरा और सर्वेश सिंह के बीच सीधा मुकाबला

Moradabad Seat Candidates भाजपा ने सभी आशंकाओं को दरकिनार कर लगातार चौथी बार सर्वेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने पहले तीसरी बार चुनाव लड़ रहे डा. एसटी हसन का टिकट तय किया। उन्होंने नामांकन भी कर दिया। ऐन मौके पर उनके बजाए बिजनौर के राजघराने की रुचिवीरा को प्रत्याशी बनाया है। वह बिजनौर से विधायक भी रही हैं।

By Jagran NewsEdited By: Aysha Sheikh Publish:Sat, 30 Mar 2024 12:47 PM (IST) Updated:Sat, 30 Mar 2024 12:47 PM (IST)
Moradabad Seat: पहले चरण का नामांकन पूरा, समझें सियासी समीकरण... रुचि वीरा और सर्वेश सिंह के बीच सीधा मुकाबला
Moradabad Seat: पहले चरण का नामांकन पूरा, समझें सियासी समीकरण... रुचि वीरा और सर्वेश सिंह के बीच सीधा मुकाबला

संजय रुस्तगी, मुरादाबाद। वे दिग्गज हैं। रसूखदार हैं। पकड़ के दावे हैं। लोकसभा चुनाव में जीत के इरादे हैं, लेकिन राह इतनी आसान भी नहीं। तीनों ही प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के सियासी रंग दिखने लगे हैं। मुद्दों से ज्यादा वे वजूद को अहमियत दे रहे हैं। चुनावी जंग में यही इस बार खास होगा। 2009 के बाद मौसम के साथ बदलते मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र के माहौल पर संजय रुस्तगी की रिपोर्ट...

उत्तराखंड की सीमा से सटे मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र का भूगोल 2009 के परिसीमन के बाद बदला है। पूर्व में मुरादाबाद शहर के अलावा देहात, पश्चिम, कुंदरकी और चंदौसी विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। परिसीमन में पश्चिम क्षेत्र खत्म हो गया। अब नगर, देहात, कांठ, ठाकुरद्वारा के साथ बिजनौर जिले की बढ़ापुर विधानसभा सीट लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यहां से रामगंगा रफ्तार भरती है।

ढेला, बहला व कोसी नदी भी शोभा बढ़ाती हैं। 10 हजार करोड़ से ज्यादा के पीतल उत्पादों का निर्यात होने से मुरादाबाद को पीतल नगरी के नाम से भी जाना जाता है। ग्रामीण क्षेत्र की बात करें, तो कांठ क्षेत्र बैंडेज बनाने का बड़ा केंद्र है। भोजपुर में देश का बड़ा कबाड़ कारोबार है। कपड़ों की दरी व चादर भी तैयार की जाती है। भारी कशमकश के बीच भाजपा और सपा की घोषणा के बाद प्रत्याशियों की तस्वीर साफ हो गई है।

पहले चरण में होना है मतदान

पहले चरण में यहां मतदान होना है। भाजपा प्रत्याशी सर्वेश सिंह 2014 में सांसद चुने जा चुके हैं। यह उनके और भाजपा के लिए पहला मौका था, इससे पहले भाजपा कभी नहीं जीत पाई थी। सर्वेश भी पहली बार सांसद बने। दलीय प्रत्याशियों के अलावा निर्दल भी मैदान में हैं। लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में तीन पर सपा के विधायक हैं।

जीत के लिए पार्टी के कैडर वोट और जातिगत समीकरणों में जीत का रास्ता तलाशा जा रहा है, मगर आम आदमी मुद्दों पर बात कर रहा है। उसके पास रामगंगा क्षेत्र में बाढ़ से बर्बादी पर सवाल हैं। हल बांध से संभव है। यह कब तक हो पाएगा कहते हुए अक्का शाहपुर के बाबू हुसैन निराश भले ही थे, लेकिन संतोष जताते हुए कहते हैं कई बड़े मुद्दों का हल भी हुआ है।

राजकीय विश्वविद्यालय का शिलान्यास, कपूर कंपनी पुल, सोनकपुर पुल, लोकोशेड पुल का चौड़ीकरण होने के बाद काम और भी बहुत होने हैं। इस पर सहमति रमेश ने जताई। बोले, मैदान में सब दिग्गज हैं। राजनीति में भविष्य देखना होगा, तो विश्वास दिलाएंगे। जो विकास का विश्वास कराएगा, वही वजूद भी बचा लेगा।

इस बार सांसद कौन?

शिक्षाविद् प्रो. हरबंश दीक्षित कहते हैं, अभी कोई एक नाम बताना मुश्किल है, लेकिन ऐसा सांसद होना चाहिए, जो विकास को लेकर संघर्ष करने वाला हो। समाज कल्याण की योजनाओं के क्रियान्वयन की चिंता करने वाला हो। लोगों का कहना है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह की गृह सीट होने और डबल इंजन की सरकार में जीत उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी है। गढ़ होने से जीत सपा के लिए भी जरूरी है।

बराबर वोट पाकर एक बार जीते, एक बार हारे सर्वेश

भाजपा इस सीट पर सिर्फ 2014 में ही जीती है। सपा चार बार बाजी मार चुकी है। 2014 और 2019 के चुनावों में भाजपा प्रत्याशी सर्वेश सिंह को बराबर 43 प्रतिशत मत मिले हैं। इन्हीं वोटों के सहारे वह 2014 में सांसद बने। तब डा. एसटी हसन 35 प्रतिशत पर सिमट गए। इसके पीछे मुस्लिम मतों का बिखराव रहा। 2019 में सपा-बसपा साथ होने के कारण डा. हसन 51 प्रतिशत मत पाकर जीत गए। इस सीट पर सर्वाधिक मुस्लिम मत करीब 48 प्रतिशत हैं। इसके अलावा जाट, ठाकुर, अनुसूचित जाति के मतदाता भी 10 से 15 प्रतिशत तक हैं।

बसपा के अलावा सभी दलों को मौका

मतदाताओं ने 2009 से पहले एक ही नेता पर कई-कई बार भरोसा जताया है। इसके बाद सांसद हर चुनाव में बदलते रहे हैं। बसपा को आज तक जीत नहीं मिली है। 1952 व 1957 में कांग्रेस से प्रो. रामसरन, 1962 के चुनाव में मुजफ्फर हुसैन, 1967 में जनसंघ के ओम प्रकाश त्यागी, 1971 में जनसंघ के ही वीरेंद्र अग्रवाल, 1977 व 1980 में गुलाम मोहम्मद खां (पहली बार अखिल भारतीय लोकदल, दूसरी बार जनता पार्टी-धर्म निरपेक्ष), 1984 में कांग्रेस से हाफिज मोहम्मद सिद्दीक सांसद बने।

1989 और 1991 में फिर गुलाम मोहम्मद खां सांसद बने, लेकिन जनता दल से। 1996, 1998 में सपा के डा. शफीकुर्रमान बर्क, 1999 में अखिल भारतीय लोकतांत्रिक के चंद्रविजय सिंह, 2004 में पुन: डा. शफीकुर्रमान बर्क, 2009 में कांग्रेस से अजहरुद्दीन, 2014 में भाजपा से सर्वेश सिंह और 2019 में फिर सांसद बदलकर सपा के डा. एसटी हसन को चुना।

जानिए प्रत्याशी

भाजपा ने सभी आशंकाओं को दरकिनार कर लगातार चौथी बार सर्वेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने पहले तीसरी बार चुनाव लड़ रहे डा. एसटी हसन का टिकट तय किया। उन्होंने नामांकन भी कर दिया। ऐन मौके पर उनके बजाए बिजनौर के राजघराने की रुचिवीरा को प्रत्याशी बनाया है। वह बिजनौर से विधायक भी रही हैं। बसपा ने इस बार ठाकुरद्वारा नगर पालिका के अध्यक्ष इरफान सैफी को मैदान में उतारा है।

ये हैं मुद्दे

मुरादाबाद शहर में फव्वारा चौक से बस स्टैंड तक एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव शासन को गया है। उसकी स्वीकृति का इंतजार है। जिले में बुनकर भी बड़ी संख्या में हैं। विशेष सुविधा न होने के कारण उनका विकास नहीं हो पा रहा है। राजकीय विश्वविद्यालय का शिलान्यास हो गया है। मेडिकल कालेज की मांग यथावत है। रामगंगा पर बांध न होने के कारण बाढ़ की आशंका बनी रहती है। कई साल से बांध के लिए प्रयास चल रहे हैं। जिले में पंजीकृत आर्टीजन करीब 60 हजार हैं। आर्टीजन पार्क की मांग लंबे अर्से से हो रही है। स्थान भी चिह्नित हो गया है।
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