दीक्षांत समारोहः सत्ता आती जाती है पर राष्ट्र वही रहता और संस्कृति नहीं बदलती

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में सुधांशु महाराज को डी-लिट की मानद उपाधि दी गई मुख्य अतिथि हरियाणा के राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी रहे।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Sun, 22 Apr 2018 06:35 PM (IST) Updated:Sun, 22 Apr 2018 06:37 PM (IST)
दीक्षांत समारोहः सत्ता आती जाती है पर राष्ट्र वही रहता और संस्कृति नहीं बदलती
दीक्षांत समारोहः सत्ता आती जाती है पर राष्ट्र वही रहता और संस्कृति नहीं बदलती

मुरादाबाद(जेएनएन)। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के द्वितीय विशेष दीक्षांत समारोह में आध्यात्मिक गुरु सुधांशु महाराज को डीलिट की मानद उपाधि प्रदान की गई समारोह में मुख्य अतिथि हरियाणा के राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी रहे। समारोह का शुभारंभ कुलाधिपति सुरेश जैन ने किया। इसके बाद मुख्य अतिथि ने सुधांशु महाराज को डिलीट की उपाधि प्रदान की। अपने संबोधन में सुधांशु महाराज ने कहा कि दुनिया में लक्ष्य कोई भी हो कठिन नहीं है बस आवश्यकता होती है मजबूत इरादे और लक्ष्य को हासिल करने की लगन की। दुनिया में आप पर कीचड़ उछालने वाले बहुत मिलेंगे लेकिन जो इन सब को नजरअंदाज कर आगे बढ़ता है वह लक्ष्य अवश्य हासिल करता है। जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सपना देखना है सपना देखने के बाद उसे हासिल करने के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़ती है कष्ट उठाने पड़ते हैं जो व्यक्ति यह सब कर लेता है और अपने सपने को पूरा करने के लिए लगन के साथ काम करता है ,वह अपना लक्ष्य जरुर हासिल कर लेता है।

आध्यात्मिक चिंतन और परंपरा निर्वाह साथ 

मुख्य अतिथि प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि भारत एक सनातन परंपरा का वाहक है। भारत की स्थापना किसी महापुरुष ने नहीं की बल्कि ऋषि मुनियों ने की है। यही कारण है कि हम एक मजबूत राष्ट्र के साथ आध्यात्मिक चिंतन धार्मिक परंपराओं का निर्वाह साथ में करते हैं। हम पर दूसरे लोगों ने राज्य किया लेकिन हमारी संस्कृति को मिटा नहीं पाए। सत्ता आती है सत्ता जाती है लेकिन राष्ट्र वही रहता है। मैं सोचता था कि हरियाणा की यूनिवर्सिटी सबसे अच्छी हैं लेकिन यहां आकर पता चला कि उत्तर प्रदेश में भी बेहतरीन शिक्षण संस्थान हैं। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में 14000 छात्र छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह अतुलनीय कार्य है ।स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि मुझे 100 युवा मिल जाए जो निरंतर कार्य करें और तब तक ना रुकें, जब तक कि अपना लक्ष्य हासिल ना कर लें। लेकिन यहां 14000 छात्राएं युवा शक्ति के रूप में मौजूद हैं , इससे देश की दशा और दिशा निर्धारित की जा सकती है । जैसा राष्ट्र हम 21वीं सदी में चाहते हैं उसका निर्माण कर सकते हैं आप सभी अपने लक्ष्य निर्धारित करें और राष्ट्र निर्माण में सहयोग करें। भारतीय परंपरा में अपेक्षा नहीं होती। यही कारण है कि नरेंद्र मोदी देश के सबसे प्रभावशाली प्रधानमंत्री साबित हुए हैं क्योंकि वह राष्ट्र के लिए कार्य कर रहे हैं बिना अपेक्षाओं के।

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