Indian Railways : सहायक चालक की सतर्कता से बर्निंग ट्रेन बनने से बची शताब्दी, यात्र‍ियों ने भी क‍िया पूरा सहयोग

ट्रेन रुकने के साथ ही सभी यात्री निकल गए थे। सहायक चालक ने दोपहर 12.23 बजे आग लगी बोगी को पीछे की बोगी से अलग कर द‍िया। चालक ने कोच को इंजन की मदद से 46 मीटर दूर ले जाकर रोक दिया।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sun, 14 Mar 2021 03:45 PM (IST) Updated:Sun, 14 Mar 2021 03:45 PM (IST)
Indian Railways : सहायक चालक की सतर्कता से बर्निंग ट्रेन बनने से बची शताब्दी, यात्र‍ियों ने भी क‍िया पूरा सहयोग
जान जोखिम में डालकर आग लगी बोगी को ट्रेन से काटकर अलग कर दिया।

मुरादाबाद, जेएनएन। कोच में आग लगने के बाद शताब्दी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनने से बचाने में यात्रियों के साथ ही सहायक चालक लोकेश मीणा की भी प्रमुख भूमिका रही। उन्होंने जान जोखिम में डालकर आग लगी बोगी को ट्रेन से काटकर अलग कर दिया।

मंडल रेल प्रबंधक तरुण प्रकाश ने बताया कि सहायक चालक का नाम रेल मंत्रालय स्तर के पुरस्कार के लिए भेजा जाएगा। शनिवार दोपहर 12.20 बजे नई दिल्ली से देहरादून जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस स्टेशन रायवाला व कांसरो स्टेशन के बीच गुजर रही थी, उसी समय चेन पुलिंग के कारण ट्रेन रुक गई। ट्रेन के चालक जेपी उपाध्याय (दिल्ली) ने सहायक चालक लोकेश मीणा को चेन पुलिंग को ठीक करने के ल‍िए भेजा। सहायक चालक ने सूचना दी कि इंजन से सातवीं बोगी में आग की लपटें उठ रहीं हैं। ट्रेन रुकने के साथ ही सभी यात्री निकल गए थे। सहायक चालक ने दोपहर 12.23 बजे आग लगी बोगी को पीछे की बोगी  से अलग कर द‍िया। चालक ने कोच को इंजन की मदद से 46 मीटर दूर ले जाकर रोक दिया। ट्रेन में लगे अग्निशमन यंत्र की मदद से चालक, सहायक चालक व गार्ड ने आग बुझाने में जुट गए। यात्रियों ने भी इसमें मदद की। घटना के समय ट्रेन के गति थी 35 किलो मीटर प्रतिघंटा। देहरादून हरिद्वार के बीच सौ किलो मीटर प्रति घंटा से ट्रेन चलाने की स्वीकृत है, लेकिन राजाजी नेशनल पार्क में ट्रेन की गति 35 किलो मीटर प्रति घंटा रखने का मानक है, इसलिए ट्रेन इसी रफ्तार से चल रही थी। ट्रेन के गति तेज होती तो आग विकराल रूप धारण कर सकती थी।

chat bot
आपका साथी