बेटे की शहादत का हर कोई भरता था दम आज कोई पूछता नहीं

पुलवामा हमले के बाद सियासत का रंग बदला नजर रहा है। इसका असर शहीद सुधीश के गांव परसुखा मिलक में दिख रहा है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Wed, 13 Mar 2019 10:27 AM (IST) Updated:Wed, 13 Mar 2019 11:19 AM (IST)
बेटे की शहादत का हर कोई भरता था दम आज कोई पूछता नहीं
बेटे की शहादत का हर कोई भरता था दम आज कोई पूछता नहीं

मोहित सिंह, सम्भल : पुलवामा हमले के बाद सियासत का रंग बदला नजर रहा है। इसका असर शहीद सुधीश के गांव परसुखा मिलक में दिख रहा है। गांव वालों सोच रहे हैं कि सियासत सेना के शहीदों पर हो रही है तो ऐसे में नेताओं को सैनिकों और परिजनों को किए वायदों को याद रखना चाहिए। शहीद के गांव के हालत भी देखी जानी चाहिए। इस लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के शोर की आवाज आ जरूर रही है लेकिन कोई शहीद के परिवार के पास नहीं आया है। जब आतंकी या पाकिस्तानी सेना गोलियां बरसाकर हमारे जवानों की जान लेते हैं तो एक ही सवाल उठता है कि आखिर कब तक ऐसे हमलों में हमारे जवान शहीद होते रहेंगे? पुलवामा हमले को मुंहतोड़ जवाब दिया। पहले जब सियासत हुई और कई लाभ देने का वायदा, जो अभी तक अधूरा है।

सेना और सरकार की पहल पर सभी को गर्व 

जागरण की टीम 2016 में सम्भल के शहीद हुए जवान सुधीश के गांव परसुखा मिलक पहुंची तो तो उसके परिजनों संग ग्रामीण भी सेना की इस पहल पर गर्व करते नजर आए। केंद्र सरकार की इस पहल की तारीफ करने के साथ ही ग्रामीणों ने दुबारा पाकिस्तान पर हमला करने की बात कही। अपने भावनाओं पर काबू रखते हुए ग्रामीणों का दो टूक कहना था कि अगर हम अपने बेटे खो रहे हैं तो उनके क्यों न मारें? अगर हमारे घर में मातम है तो उनके घर पर खुशियां कैसे हो सकती है? इस बार तो चुनाव में सियासत हो रही है। शहीद के परिवार की भी तो सुननी चाहिए।

क्या कहते हैं शहीद के परिजन 

शहीद के पिता ब्रह्मपाल कहते हैं कि पुलवामा में आतंकियों ने हमारे जवानों को शहीद किया। यह खबर सुनी तो फिर बहुत अफसोस हुआ। शहीद जवान सुधीश का चेहरा सामने आने लगा। लेकिन तारीफ करनी होगी केंद्र सरकार व हमारी सेना की, जिसने इस दफा कुछ दिनों के भीतर ही पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दे दिया। अब जरूरत है कि हमाारी सेना हर हमले का जवाब देकर अपना बदला ले। शहीद की मां हरवती कहती हैं कि हर हमले में कोई मां अपना बेटा खो रही है तो कोई पत्नी अपना सुहाग। मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ जाता है। कोई जानता है कि आखिर कैसे शहीद के बच्चे पलेंगे। केंद्र सरकार की पहल पर हमारी वायु सेना ने जो कदम उठाया वह बिल्कुल सही है। चुनाव में सियासत सैनिकों की वीरता पर है तो शहीद हो चुके परिवार को तो देखें।

शहीद की पत्नी कविता कहती हैं कि पाकिस्तानियों ने सीज फायर कर मेरे पति की जान ले ली। हादसे के वक्त मेरी बेटी बहुत छोटी थी। पति की शहादत का दर्द मैंने और मेरे बच्चे ने झेला है। हर हमले में ऐसे कितने जवान अपनी जान खो रहे हैं। अब वक्त आ गया है कि जवानों की शहादत का बदला लिया जाए। केंद्र सरकार व सेना ने जो पुलवामा हमले के बाद जवाबी कार्रवाई की, इससे काफी हद तक शहीद जवानों के परिजनों को कुछ शांति मिलेगी।

क्या कहते हैं ग्रामीण 

ग्रामीण ओमवीर सिंह कहते हैं कि हम शहीद सुधीश के गांव से हैं तो जवानों की मौत का दर्द हम अच्छी तरह से समझते हैं। जवाबी कार्रवाई की सूचना जब टीवी व समाचारों के जरिए हमें मिली तो काफी राहत की सांस ली। मेरा मानना है कि पाकिस्तान के साथ शांति की कोई बात की न की जाए। सरकार इस बारे में सोचे और परिवार के लोगों से मुलाकात तो करें।  ग्रामीण मोहन सिंह कहते हैं कि हमें अपनी सेना पर गर्व है। पुलवामा में हुए हमले के बाद सेना ने हमारे जवानों की शहादत का बदला ले लिया। वक्त आ गया है कि पाकिस्तान की हर चाल का उसी अंदाज में जवाब दिया जाए। केंद्र सरकार की भी सरहना करनी होगी, जिसने हमारी सेना को खुली छूट दे दी। सेना को वक्त और मौका चुनने की भी छूट दे दी। इस स्ट्राइक को चुनावी स्टंट न समझा जाए।

ग्रामीण पतराम सिंह कहते हैं कि हमले में जिसका खोता है वही उस दर्द को समझता है। सुधीश के परिजनों ने इस दर्द को झेला है। चूंकि हम ग्रामीण हैं तो हमने भी उनके दर्द को महसूस किया है। हर हमले का पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बारी आ गई है। अगर ऐसे ही जवाब पहले से दिए जाने लगते तो शायद पाकिस्तान की इतनी हिम्मत नहीं होती। लेकिन सेना की इस कार्रवाई से हम सभी को गर्व है।

सरकार ने नहीं किए वादे पूरे

पुलवामा में हुए हमले के बाद भारत की ओर से हुई स्ट्राइक के संबंध में जब हम शहीद सुधीश के गांव पहुंचे तो सभी ने जवाबी कार्रवाई को सही बताया। लेकिन कहीं न कहीं परिजनों का दर्द भी झलक आया। यह दर्द था सरकार की वादाखिलाफी का। ग्रामीणों ने भी परिजनों के इस दर्द का समर्थन किया। सुधीश के पिता ब्रह्मपाल का कहना था कि जब बेटे का शव घर आया तो तमाम नेताओं का जमावड़ा लगा। हर किसी ने ढांढस बंधाने के साथ ही हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। शहीद के नाम पर गांव में दो गेट बनवाने का वादा किया गया। अमरोहा सांसद कंवर सिंह तंवर गैस एजेंसी देने व सरकार ने बड़े भाई को सरकारी नौकरी दिलवाने का वादा किया। पिछले साल मुरादाबाद आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद बुलाकर शहीद सुधीश के नाम पर स्कूल खुलवाने का भरोसा दिलाया। लेकिन अभी तक कोई वादा पूरा नहीं किया गया है। हालांकि सांसद सतपाल सैनी ने शहीद के नाम पर सड़क का निर्माण कराकर अपना वादा पूरा कर दिया। मदद के नाम पर उसी वक्त तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने 20 लाख का चेक जरूर दिया था।

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