मुख्यमंत्री का अंतिम सांस तक नहीं भूलेंगे अहसान

हजारों प्रवासी श्रमिकों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची तो ट्रेन से उतरते ही प्रवासियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्णय को सराहा। सभी यात्रियों ने एक सुर में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो हम लोगों के लिए किया है उससे हम सभी प्रदेश के प्रवासी उनके ऋणी रहेंगे। 50 दिन से अधिक लॉकडाउन में फंसे थे और जेब में जो बचे-खुचे पैसे थे वो भी खत्म हो गए और दाने-दाने को मोहताज होने लगे थे। कोई चारा नहीं बचा था लेकिन मुख्यमंत्री का फरमान टीवी पर सुना तो मानो ऐसा लगा कि जैसे मन में नई उमंग के साथ चेहरे पर उम्मीद की मुस्कान थिरकने लगी कि अब हम सभी अपने घर पहुंच जाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 May 2020 05:48 PM (IST) Updated:Sun, 17 May 2020 05:48 PM (IST)
मुख्यमंत्री का अंतिम सांस 
तक नहीं भूलेंगे अहसान
मुख्यमंत्री का अंतिम सांस तक नहीं भूलेंगे अहसान

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : हजारों प्रवासी श्रमिकों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची तो ट्रेन से उतरते ही प्रवासियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्णय को सराहा। सभी यात्रियों ने एक सुर में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो हम लोगों के लिए किया है, उससे हम सभी प्रदेश के प्रवासी उनके ऋणी रहेंगे। 50 दिन से अधिक लॉकडाउन में फंसे थे और जेब में जो बचे-खुचे पैसे थे वो भी खत्म हो गए और दाने-दाने को मोहताज होने लगे थे। कोई चारा नहीं बचा था लेकिन मुख्यमंत्री का निर्णय टीवी पर सुना तो मानो ऐसा लगा कि जैसे मन में नई उमंग के साथ चेहरे पर उम्मीद की मुस्कान थिरकने लगी कि अब हम सभी अपने घर पहुंच जाएंगे।

यह पीड़ा और आप बीती जौनपुर के चंदवक निवासी धीरज, प्रदीप कुमार, कमलेश व लव कुमार आदि लोगों ने सुनाई। उन्होंने बताया कि अहमदाबाद में एक साल से कारपेंटर का काम करते थे। कोरोना वायरस के चलते 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा जारी हो गई और काम ठप हो गया। इसके बाद सोचा था कि लॉकडाउन खत्म हो जाएगा लेकिन दूसरी व तीसरी बार जब लॉकडाउन समाप्त नहीं हुआ तो हम सभी मायूस हो गए। इस बीच हम लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए थे। कभी चावल नमक खाकर रात में सो जाते तो कभी पानी पीकर जिदंगी कटती रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फरमान को टीवी पर देखा तो मन में घर जाने की एक आस जगी। इसी बीच फार्म भरा गया और कुछ ही दिन में नाम भी सूची में आ गया तो हम लोगों को बहुत ही खुशी हुई। जब 15 मई को अहमदाबाद के कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे और वहां से बस द्वारा स्टेशन पर लाया गया। अहमदाबाद स्टेशन से ट्रेन पर जब बैठे तो ऐसा लगा कि लॉकडाउन का कारावास समाप्त हो गया। शनिवार को जब मीरजापुर पहुंचे तो विश्वास हो गया कि अब चार घंटे बाद अपने घर को पहुंच जाएंगे। बताया कि यह सब मुख्यमंत्री की ही देन है कि हम लोग अपने गृह जनपद पहुंच पाए हैं, नहीं तो अब तक जीवन पूरी तरह से समाप्त हो जाता। यहां पहुंचने वाले सभी प्रवासियों के चेहरे पर अपनों के बीच पहुंचने की मुस्कान थिरक रही थी।

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