कोरोना की आत्मकथा

सावधान! मैं चीनी यात्री कोरोना हूँ। मुझे हल्के में मत लेना मैं खतरनाक खिलौना हूँ। मुझको जिसने पैदा किया पहले उसी पर वार किया। एक नहीं हजारों की संख्या पर प्रहार किया। अब देश विदेश में घूम रहा हूं न जादू न टोना हूँ।। सावधान! मैं चीनी यात्री कोरोना हूँ। इटली अमेरिका पर मैंने ताबड़तोड़ प्रहार किया। अपने नग्न तांडव से मैं लाखों का संहार किया। मैं वायरस होकर चमक रहा जैसे चांदी-सोना हूँ।। सावधान! मैं चीनी यात्री कोरोना हूँ। मगर आज मैं भारत के चक्रव्यूह से दहल गया हूँ। फिर भी जितना बन पाया उतना ही मैं पहल किया हूँ। अब तक भारत के भविष्य को हिला न पाया कोना हूँ। सावधान! मैं चीनी यात्री कोरोना हूँ। सोचा था मोदी के गोदी में जाकर बैठूंगा। लाखों को सुरधाम पढ़ाकर अपनी मूंछ मैं ऐठूंगा। मगर छप्पन इंच सीना के सम्मुख बन गया आज मैं बौना हूँ।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 May 2020 05:34 PM (IST) Updated:Tue, 05 May 2020 05:34 PM (IST)
कोरोना की आत्मकथा
कोरोना की आत्मकथा

सावधान! मैं

चीनी यात्री कोरोना हूं।

मुझे हल्के में मत लेना,

मैं खतरनाक खिलौना हूं।

मुझको जिसने पैदा किया,

पहले उसी पर वार किया।

एक नहीं, हजारों की

संख्या पर प्रहार किया।

अब देश विदेश में घूम रहा हूं,

न जादू न टोना हूं।।

सावधान! मैं

चीनी यात्री कोरोना हूं।

इटली, अमेरिका पर मैंने

ताबड़तोड़ प्रहार किया।

अपने नग्न तांडव से मैं,

लाखों का संहार किया।

मैं वायरस होकर चमक रहा,

जैसे चांदी-सोना हूं।।

सावधान! मैं

चीनी यात्री कोरोना हूं।

मगर आज मैं भारत के,

चक्रव्यूह से दहल गया हूं।

फिर भी जितना बन पाया,

उतना ही मैं पहल किया हूं।

अब तक भारत के भविष्य को

हिला न पाया कोना हूं।

सावधान! मैं

चीनी यात्री कोरोना हूं।

सोचा था मोदी के

गोदी में जाकर बैठूंगा।

लाखों को सुरधाम पढ़ाकर,

अपनी मूंछ मैं ऐठूंगा।

मगर छप्पन इंच सीना के सम्मुख,

बन गया आज मैं बौना हूं।

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कमलेश्वर प्रसाद'कमल'

- भरपुर, चुनार

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